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________________ आगम (४०) भाग-4 “आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 2 अध्ययनं , मूलं F /गाथा-], नियुक्ति: [७७४/७७३-७७७], भाज्यं [१२४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 ( आविरक्षित त्ति प्रत HEIGE दीप अनुक्रम श्री दारं नत्थि, कीस अवदारेण अतीसि , ताहे तेण तत्थुप्पण्णं चेव भणित--सिरीअ एतीए किं दारं अवदार वा, जतो अतीति & आवश्यक तो सुंदरा, ताहे. तेहिं भणितं-- देह से मिक्खं, तत्थ लड्डुगा बत्तीस लद्धा, सो ते घेत्तूण आगतो, आलोयियं ण, पच्छा को चूणा आपरिया मणंति-तुझं बत्तीस सीसा होहिंति परंपरएण आवलिया ठावया, ताहे आयरिया भणति जा तुम्मे पुवं राउला लगा कि II किंचियातिसेसं ताहे कस्स देह, तेण भणित-भणाणं, एवं चेव अम्ह साधुणो पूयणिज्जा, एतेसि एस पढमलाभों दिज्जङ, एवं होतुति तं सच्वं साहूण दिण्णं, ताहे पुणो अपणो अट्ठाए उचिष्णो, पच्छाऽणेणं परमणं घतमहुसंजुत्तं आणित; पच्छा सर्य। ॥४०॥ समुदिहो, एवं सो अप्पणा चेव पद्वितो लद्धिसंपण्णो बहूर्ण बालदुब्बलाणं आधारो जातो । एवं तस्सण्णायगपबन्जा। # तत्थ य गच्छे तिण्णि पूसमित्ता-एगो दुब्बलियपूसमित्तो एगो घयपूसमिचो एगो पोत्तपूसामिचो, जो दुबलिओ सो झरओ, एगो घत उप्पायेति एगो पोचाणि, तस्स धतपूसमित्तस्स इमा लद्धी-दन्यतो घत उप्पाएतव्वं, खेत्तओ जहा उज्जेणीए, कालतो जेवासाढकाले, भावतो धिज्जातिणी तीसे भत्तुणा दिवसे २ छहिं मासेहिं पसविहिति पिंडिओ वारतु घतस्स वितायाए उवयुब्जिअतिचि, सा य काल वा परे वा वियाहितित्तिकाऊणं, तेण य जातितं, अपणं पत्थि, तहवि पिंडित सा हट्ठमाणसा देण्जा परिमाणं तु जत्तियं गच्छस्स उपयुज्जति, सो यनितो चेव पुच्छति-कस्स कत्तिएण घएण कज्जी, पोत्तपूसमित्तस्स एमेव सत्ता, द-18 &ाव्यादि, दव्वओ वत्थं खेत्तओ वइबदेसे महुराए वा, कालओ वासासु सीतकाले वा, भावतो जहा काइ रंडा तीसे केणति उवाएणला ४०९॥ . वहहिं दुक्खेहि छुहाए य मरतीए कतिऊण एगा पोती वृणावेत्ता कल्लं नियंसेहामति, एत्यंतरा पोतिपूसमितण जातितं, सा हतुवा देज्जा, परिमाणओ सन्चस्स गच्छस्स उप्पाएज्जा। (118)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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