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________________ आगम (४०) भाग-4 "आवश्यक'- मूलसूत्र अध्ययनं , मूलं - गाथा-], नियुक्ति : [७६४-७७२/७६४-७७२], भाष्यं [१२३...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 प्रत आवश्यक चूणों सत्राका उपोद्घात नियुक्ती ॥३९५॥ पवयणउवग्गहनिमिर पारेमि, एवं विहरतो भगर्न भवियजणविदोहण करेति । तेणं कालेणं तेणं समएणं पाडलिपुले नगरे पणो अपृथक्यासेड्डी, तस्स धूता अतीव दरिसणिज्जा, तस्स य सालासु साहूणीओ ठियाओ, सभावेण य एस लोगो कामितकामओ, ताओ या नुयोगे संजतीओ आराहाइओ बहरसामिस्स गुणकित्तणं करेंति, सेविता चितेति-जदि सो मम पती तो णवरि भोगा, इहरहा अलाहिजस्वाम्युवरगा एंति, पडिसेहिज्जंति, ताहे साहति, जहा सो पन्चाओ महात्मा नेच्छति, सा भणति-जदि णेच्छति सो पच्वहस्सामि । इतो य दाहरणं भगवं पाडलिपुत्ते आगतो, तत्थ राया सपुरजणजाणवतो णिग्गतो अम्मोगतियाए, ते य पव्वतिया फडगफहहिं एन्ति, तत्था अत्थि बहवे ओरालसरीरा, राया पुच्छति-दमो भगवं, ताहे सीसति-जहा ण भवति, जत्थ अपच्छिम बंदं तत्थ पविरल-पली पन्चइय सद्धि संपरिवुडो, एस आयरिओ, आयरिया ण तथा पडिरूवा, तस्थ पडिओ पादेसु, ताहे उज्जाणे ठिता, धम्मो कहितो, I खीरासवलद्धी भगवं, राया हतहिदो कतो, अंतेउरे साहति गर्नु, ताओ भणति-अम्हेबि बच्चामो, सव्यं अंतेपुरं निग्गत, सा या सेट्टिधूता लोगस्स सुणेत्ता किह पेच्छेज्जामित्ति अच्छति, वितियदिवसे ताए पिता विष्णवितो-तस्स मे देहि, ताहे सबालंकारविभूसिदा अणेगाहि धणकोडीहिं नीता, धम्मो कहितो, भगवं च खीरासबलबीओ, लोगो मणति-अहो मुस्सरो भगवं, सब्वगुण-|ी संपण्णो, णवरि रूवविहणो, जदि से रूबं होन्तं तो सव्वगुणसंपदा होती, भगवं तेसि मणोगतं णाऊण तत्व पउमं विउव्वति, तस्स उचरि निविडो, रूवं विउव्वति अतीवसोम्म जारिस पर देवाणं, लोगो आउदो भणति-एवं एतस्स सामावितं रूब, मा पत्थ-RI णिज्जो होहामिति तो विरूवेण अच्छति, साविसउचि राया भणति-अहो भगवओ एतमवि अथि, ताहे अणगारगुणे चण्णेति, 3॥१५॥ पहू असंखज्जे दीवसमुद्दे विउव्यिता आइण्णविप्पणे करेत्तएत्ति, तारे तेण रूवेण धर्म कहेति, ताहे सेहिणा णिमंतिओ भगवं दीप अनुक्रम FREEBARELI (104)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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