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________________ आगम (०२) भाग-2 “सूत्रकृत” - अंगसूत्र-२ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-३५], मूलं - पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-०२], अंग सूत्र-[२] “सूत्रकृत' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: ताङ्गचर्णिः ।। २५॥ गुणनयवत प्रत सूत्रांक दीप दुविधो-लोइओ लोगुनरो य,लोगुत्तरिए समोतरति,सोऽवि तिविधी-सुसे अत्थे तदुभयेत्ति,तिसुवि समोतरति,अथवा आगमो तिविधो- अत्तागमो अणंतरागमो परंपरागमो य, तत्थ समयस्स अस्थत्तो तित्थकरस्स अत्तागमोगणधराणं अगंतरागमे गणधरसिस्साणं परंपरा- | गमो, सुत्त(स्थ)ओ गणधराणं अत्तागमो गणहरसीसाणं अणंतरागमो,तेण परं सुत्तत्थभअयोविणो अत्तागमो णो अणंतरागमो,परंपरा गमो, गुणप्पमाणं गतं । इदाणिं णयप्पमाणं-तस्थ मूढणइयं सुतं कालियं तु ण णया समोतरंति इह । आसञ्ज तु सोयारं णए णयवि। सारतो बूया ॥१॥ इदाणिं णयप्पमाणे ण समोसरति, पुरा पुण जाव चउण्ह अणुयोगाण अपुहुत्तं आसि ताय सुत्ते णा अवितारिजंता, ॥ इयाणिं पुहुत्ताणुयोगे णायतारिज्जति । इदणि संखप्पमाणं, तं अट्ठविहं, तंजहा-णामट्ठवणसंखा दवखेचकालसंखा परिमाणपजवभावे Ka संखा चेव, तत्थ परिमाणासंखाए समोतरति, परिमाणसंखा य दुविधा-कालियसुतपरिमाणसंखा य दिहिवायसुतपरिमाणसंखा य, | कालिय० संखाए समोतरति, कालियसुतपरिमाणसंखा दुविधा-अंगपचिट्ठ अंगबाहिरं च, अंगपविढे समोतरति, पजवसंखाए अर्णता | पज्जवा, जतो भणितं-सव्वागासपदेसग्गं; सव्वागासपदेसेहि अर्णतगुणितं पज्जवग्गं अक्खरं लब्भति, संखेज्जा अक्खरा संखेज्जा संघाता संखेजा पदा संखेा सिलोगा संखेज्जाओ गाथाओ संखेज्जा वेढा संखेज्जा अणुयोगदारा। इदाणि वत्तव्बया, सा तिविधाAY मममयवत्तव्यया परसमयवत्तव्यया ससमयपरसमयवत्तव्यया, तत्थ ससमयवत्तवयाए समोतरति, परसमए उभयं वा सम्मदिहिस्स | ससमयो, जाणतो सब्वज्झयणाई ससमयवत्तव्वणियताई, मिच्छत्तसमूहमयं सम्मचं जं च तदुवकारंमि वट्टइ परसिद्धंतो तो तस्स (तओ ससिद्धंतो। अस्थाहिकारो दुविधो-अज्झयणस्थाधिकारी य उद्देसास्थाधिकारो य, तत्थ अज्झयणत्याहिगारो ससमयपरसमयप| स्वणाए, उद्देसत्थाहिकारो इमों-पढममुद्देशए ताव इमे छ अस्थाहिकारा भवंति, तंजहा-महपंचभूता एकप्पयतज्जीवतस्सरीरी य तह अनुक्रम 1॥२५॥ [38]
SR No.035052
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 02 Sootrakrut Churni Aagam 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages486
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size50 MB
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