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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२], उद्देशक [३], नियुक्ति: [१९७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ७७-८१] (०१) प्रत वृत्यक [७७ श्रीआचा-D| कहिचि वणसंडे सीतलं मलिलं कहिंचि तविधीय एवं संसारेवि कहिचि उच्चागोयं कहिंचि णीयंति, अहवा 'एयाणुपस्सिति अंधत्वादिः राग सूत्र-14 अणेगरूवाओ जोणीए विरूवरूवे फासत्ति इटाणिहा फासिजंतिन्ति फासा, जहा अंधत्तं, अंधो दुविहो-दवे भावे य, दबंधो चूर्णिः २ अध्य | उबहतणेतो अंधतणतो य, भावंधो मिच्छादिट्ठी, दयभावे चउभंगो, पुढविमादि जाव तेइंदिया दोदिवि अंधा, सेसाण विभासा, IYA मा बहिरंत ण मुणेति, मूतो तिविहो-जलमूतओ एलमूतओ मम्मणोत्ति, खुजो वामणो 'बडभेति जस्स वडभं पिट्टीए जिग्गतं, सामो-कुट्ठी सबल-सिति, सह पमादेणंति कारणे कज्जुक्यारा भणितं सकम्मेहि, एस उद्देसओ पायं पमाएणं गतो, से असई) | उच्चागोयत्ति माणो गहितो, सह कोहेण सह मायाए अणेगरूवाओ जोपीओ पुषभणियाओ विरूवरूवे फासे संघाति, अहवा रोगातका फासा तेसिं मागादिकसायाणं भूयाणं असायपवत्तीए य दोसे अबुज्झमाणो, तेण भण्णति 'बुज्झमाणे हतोवहते'N अहवा जती सो नत्थ अवाए बुझिजण मातातिकसाए करंज, अतो भवुज्झमाणे-णाणातितिविहगोहि अबुझमाणे हिंसादिपबत्ने गरगादि उववातं उबढ़स्स अंधनादि ण बुज्झति, जहवा अप्पसत्वगुणमूलढाणाणि य अरतिदोसे आतबलादिदोसे य|| एवमादि अचुज्झते, हतोवइतो हतो डंडकमादिपहारहि उवहतो असुहबाहारण, जहा बागियगस्स साहस्सो णउलओ पुरोहि-1 तेण अवहिओ, मग्गिअंतोत्रि ण दति, रणो णिवेदितं, ववहारे पराजितो, किं कससतं महसि उदाहु गृहं भक्षयसि ?, भगति-17 कससतं सहामित्ति, कतिहि पहारहिं दिग्णेहि भणति-अलं मे पहारेहि, परिहारं खायामि, पच्छा थोर खाइतं, णेच्छति, एवं पुणो Lilपहारी, पुणो थोत्रं खादयति, एवं ते पहारा तं च गृह खाती, एवं सो सबस्सहरणो कतो, हतो य, परिहारमलक्खणेण य अपंतेओ कतो, अहवा वकिमिगादिसु उबवण्णो हतो य उवहतो य, अहवा सणा समुदिसंता सेस अंतस्था ण विरहिता, किंतु सेसाण ?, I n६५॥ ८१] दीप अनुक्रम [७८८३] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [77]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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