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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२], उद्देशक [२], नियुक्ति: [१८७-१९७], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ७२-७६] (०१) श्रीआचा- गंग सूत्र चूर्णिः । २ अध्य २ उद्देशः प्रत वृत्यक [७२७६] तेण जतो तिणि कोडीओ पक्खित्ताओ भवति, तंजहा-अग्गी उदगं इथिओ, कह', जब कोइ बुच्चेञ्जा-तिष्णि कोडीओ गिहलोभजूगुउदगादीणि मुय, सो इबिजा, एवं लोभ दुगुंछमाणो लद्धे कामे नाभिगाहति, अमिमुहं गाइति अभिग्गाहति जहा चित्तोखुङ-10 प्सादि ओवा, 'सुट्ठ गाहतं मुट्ठ वाइयं सुठु नच्चियं सामसुंदरी। दिजंपिरजंन इच्छति एस, एवं दढचाहिगारे अणुतरे, एवं ता सलोभो णिक्खंतो कोयितं लोमं अलोमेण दगुंछइ जाव सब्वथा खीगो, कोयि पुण विणावि लोभेण निक्खमइ जहा भरहोराया चाउरतचकवट्टी, एवं कोहो माणो माया, अहवा अणताणुबंधी अप्पचक्खाण पचकखाणावरणा तित्रिवि लोभा गहिता, तेहि विणा | णिक्वतो, एवं कोहमाणमायाचि तिणि तिष्णि, कोयि महावि लोभेणं णिक्खंतो सरागसंजमो घेप्पड़, णवि सो तेसिं खवणाए। उद्वितो अणिक्खतो भवति, अहवा सह जहा गोविंदो णिक्खतो, तपि सेयं भवति, अहवा ओदणमुंडो जावि सावि पन्चा होति अहगं पुण णरस्स सुहबइणिज्जो, अहगं पुण ओदणमुंडो अच्छरामज्झगतो विलसामि, एअंसकम्मे जाणइ पासइ भरहो जहेह राया,, अण्यो देसक्खएणं पडिलेहाए णावखंति विसयादि, सम्म उडिते आयतट्ठीए, एस अणगारेति पञ्चति-मिसं वुश्चति, भणिता दहधितिणो, तन्धिवक्खा अप्पसत्थगुणट्ठाणवत्तिणी विसयकसायवसगा, अलोभं लोभेण दुगुंछमाणा लद्धे कामे निगूहमाणा, अविणयितुं लोभ निकखंता मिच्छुगमादी, अणिक्खंता वा सकम्मणो णो अणगारा पन्नुचंति, 'इच्चत्थं गदिए लोए वसति' पमत्तो गिहिलोगो पासंडिलोगो वसति भोगेसु विसयकसायातिपमत्तो अददधितित्वा अप्पसत्यरतिश्राउो आयपरउभयोउं अत्थोवज्जणपरो कालाकालसमुट्ठायी जाच एत्थ सत्थे पुणो २ पावाइवायमादिएमु जोगतियकरणतिएणं से यातयले' अप्पा मे बलितो भविस्सति अपरिभूतो वा, चलितो भोगे अंजीहामी जुझिहामि वा सालंकारो वा में भविस्पति, तेण मंसमजपाणण्हाणादीहिं सरीरडी-1 दीप अनुक्रम [७३७७] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [72]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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