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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [८], उद्देशक [८], नियुक्ति: [२७५..], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २२६/गाथा: १-२५] (०१) नाहारादि प्रत वृत्यक [२२६गाथा १-२५]] दीप अनुक्रम [२३६२६४] IS9 अप्पयीयं च अपहरितं जाव बियाणेचा तणाई संघरेजा, तणाई संथरेता दम्भसादीणि सयमेव अणाहारो णिवजेज रांग सूत्रचणित(२४) मुणी, तस्स आहारो ण विजतीति अणाहारो, तिचिहं वा पञ्चक्खाति, ताणि बछुआ जाव णिवण्णो संतो, पुट्ठो तत्वधि२९॥ | यासिजा पुट्ठो णाम दिगिछाते. तिविहे पञ्चक्रवाए, तिविहे चउबिहे वा पञ्चक्खाया, पिवासितो तत्थाहियासए, एवं अन्नेहिषि परीसहेहि पुट्ठो अहियासए णातिवेलं उपचरेण पडिसेहे अतिरतिक्रमणादिपु, वेलत्ति या सीमति वा मेरत्ति वा एगट्ठा, दब. Wवेला समुहस्स, भाववेला चरित्नपाली, तं सो परीसहेहिं उबसग्गेहिं पुट्ठोण अतिवेलं धम्मसुकराण, उवगरणे आहारो दाइजा, मणुस्सेमुवि पुट्ठवं धम्म मणुस्सेसु, अणुलोमेहि वा पडिलोमेहि, तत्थ अणुलोभो आहारनिमंतणादी, इस्थिया वा उवसग्गं करेति, पुरिसएसणी वा गणिया चउसटिकलाविसारया, पडिलोमे चा कट्ठलेहि पिट्टिज वा कट्टविकडिं वा करेजा, अवि पदत्यादिसु, दिब्बेहिवि पुट्ठवं, तिरिक्ख जोणिया पुण उवमग्गा सिरीसिवादि, ततो भणिजति-संसप्पगा य जे पाणा (२५) संसपंतीति संसप्पगा-मुयंगाओ मकोडगबगसीयल सीहवग्यतरच्छादि, जे य उड अहे चरा उड़े चरा उद्दचरा पक्षिणो कागा गिद्धा सहादि, पदममसगादयो य, पण्णपगदिसं पहुंच अहेचरा विलवासिणो. तंजहा-अहिमूमगादि, मुंजते मंससोणियं तत्थ मंसं सीहवग्ध 1| जंबुगादि भक्षयति जहा अवंतिकुसुमालस्स, सोणियं तु दंसममगपिपीलिगादि पिते, सनेवि ण चाणे हत्थेण वा पादेग| 17वा कट्टेण वा तणेण वा ण छणिज, यदुक्तं भवति-ण मारेज, पमजते सममगे वत्थेण वा हत्येण पत्तेण वा पाणा देहं विहिIN.संति (२६) इत्थ इमं आलेषण काउं अहियासेयब-मा तेमि अंतराइयं भविस्मति, एते तु पाणा मम देहमेव विहिंसंति, ण पुण नाणादिउबरोहं करेति, कई १-अण्णो जीयो अण्णं सरीरमितिकाउं, भणियं च-अण्णं इमं सरीरं अमोऽहं ०, अने संबंधिधया, तं पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [302]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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