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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [८], उद्देशक [६], नियुक्ति: [२७५..], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २१८-२२२] (०१) VI प्रत वृत्यक [२१८२२२ श्रीआचा-चण्णागरादी, गामो विजसण्णिविट्ठो दोहिं गम्मति जलेगवि धलेणविदोणमुहं जहा भरुयळं तामलित्ती एवमादि, आसमो| ग्रामादि राग सूत्र- आसमपदं, जहा आसनसन्निवेसो सनासन्निवेसो य, जहा समागमो वा, णिम्गमो जस्थ गमवम्गो परिवसति, रायहाणी जत्थ राया चूर्णिः वसइ, तणाइ दव्यकुसादीणि अझसिराणि डगलतणादीणं जस्सोग्गह करेति-तणसामी जायति, जाइत्ता से तमादाय एगन्तं उपक॥२८२।। मेजा, ताणि आदाय-गिहिला एगंतमवकमति, अगावातमसंलोग गमेत्ता अप्पपाणे बंधाणुलोमेण अप्पपाणं, इहरहा अप्पाण-IN | मेव, अप्पबीजं सामगादीचीयरहिय, अप्पहरियं हरियविवञ्जियं, अप्पाओसे जस्स हिट्ठाश्रो वा उप्परातो वा ओसा णत्थि,DI एवं अप्पोदगमबि, भोमो अंतरिक्खो बा, उनिंग कीडियानगरं, पणतो णाम उल्लितिया भूमि, उदगमट्टिया, आणेति वा फासुगीए भूमीए छुमित्ता, अहवा उदगमट्टिया मकडगसंताणउकलियाओ, अबा संताणओ पिपीलियादीणं, एरिसं थंडिल्लं पडिले. हिता संथारगं संथरेइ, संथारगं संथरेत्ता पुरस्थाभिमुद्दो संथारोवगतो करतलपरिग्गहिये सिरसाव मत्थए अंजलिं काउं एत्तिविYA समए इत्तिरिय करेति, इत्तिरिय णाम अप्पकालियं, त केयि मगंति-इत्तिरिय भत्तपञ्चक्खाइयं, यदुक्तं भवति-मागारं, जति एनो रोगायंकाओ मुच्चीहामी णबहि वारसहि दिवसेहि तो मे णबरि कप्पति पारेनए, अह ण मुञ्चामि तो मे तहा पञ्चक्खायमेव | भवतु, सागारं मनं पञ्चक्खाति, इतरसद्दमेचो, केह एवं इच्छंति, तं ण भवंति, वयं भणामो-एवं सागा अभिग्गहे अभिगिण्डंति, | सेसगाओ पडिमाओ पडिवजंति, ण तु साहयोऽवित्तरे, ण तु जिणकप्पिया, ते तु अण्णहपि काले णिचं अपमाति, ताण सागार पुरिमद्धमादि पञ्चक्रवं, किं पुण आवकहितं भन्नपञ्चक्वाणमिति, जं पुण बुचति-एत्थंपि समए इनिरियं करेति, तं एवं जाणावेति एसो इंगिणीमरणं उद्देसिओ, चउबिहाहारविरो, से जावजीवाए एत्थंपि समएनि ईगिणिमरणकालसमए, इतिरियं णाम ||॥२८२॥ दीप अनुक्रम [२३१२३५] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [294]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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