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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [८], उद्देशक [३], नियुक्ति: [२७५..], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २०७-२१०] (०१) रांग सूत्रचूर्णिः ॥२७२॥ प्रत वृत्यक [२०७२१०] तत्थ भणिजइ-णो एवं खलु मे कप्पति अगणिकार्य उचालित्तए वा, ईसित्ति जालणं उजालणं, तं कायं आयावित्तए । आतापन निषेधः | वा, कायो सरीरं, ईसिं तावणं मिसं तवणं आतावणं पतावर्ण, पुणो २ वा तावणं पतावणं, अन्नेसि वा वयणाए अ, णो | मणेण कप्पति सेवेत, लब्धं अग्गि ताव पञ्जालेहि तत्थ कार्य तविस्सामि एवं ण वयणेपनि वत्तम्ब, जाव कोइ अवुत्तोवि अग्गि। ममट्टाए पजालए मोऽवि पडिसेहेयम्वो, सो सेवं क्यंतस्स सियायि एवमधारणे बदतोवि परो स एव गाहाबई, पाणाई समारंभ माधाएत्ता घुगादि कटादिसंसिते संमं उदिस्स समुहिस्स एग वा साधं उहिस्स, कीतं कट्ठाणि किणित्ता, कट्ठाणि पामिश्चेति अलातं वा, | | अच्छिज्जं णाम अच्छिदित्ता अण्णेसि कहाणि, अणिसद्वेण वा कट्ठा णिति, इंधणेण अगणिकार्य उजालिज्ज वा पज्जालिज्ज वा, |तं च मिक्खु अगणिकार्य जाणिता आज्ञापयति, यदुकं भवति-उदिस्सति, तस गाहावइस्स जह मम अढाए अग्गी पालिए, | ण बट्टति, जतिवि सयट्ठाए गिहीहिं पज्जालिते तहावि ण वह आतवित्तए वा पतावित्तए वा, ताहे सो गाहावई आउट्टो वंदित्ता |तं साहुं ताहे चेव इंगालसगडियाए एतस्स कार्य आतावेति, तत्थवि सं भिक्खू पडिलेहाए पडिलेहा णाम सुतोवदेसं ताए आग| मित्ता-जाणित्ता आणाविज अणासेवणाएत्ति परेणविण में कप्पति कातो आतवित्तए वा०, आतवितो या सातिज्जित्तए, IN | जत्थ सो ठितो तत्थ गंतुं एगल्लविहारपडिवण्णस्स वा अणेगल्लविहारपडिवण्णस वा पडिमागतस्स वा इहरहा बा तस्स समीवे || |पाणाई भृयाई जीवाई सत्ताह समारंभ समूहिस्स कीतं पामिचं जाव अच्छिज्जं अणिसट्ठ अगणिकार्य उज्जालित्ता वा तस्स कार्य आता-| वेति वा पतावेति वा तं च मिक्ख पडिलेहाए आगमित्तए, यदुक्तं भवति-ज्ञात्वा, आणवेज्जा अणासेवणाए-अणुवभोगाइत्ति बेमि तित्थगरोवदेसाओ ।। इति विमोक्षाध्ययनस्स तृतीयोदेशकः॥ ||२७२।। दीप अनुक्रम २२०२२३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [284]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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