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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [८], उद्देशक [२], नियुक्ति: [२७५..], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २०२-२०६] (०१) प्रत वृत्यक [२०२२०६] श्रीआचा- आवसहं वा समुस्सिणाति, अणांसेवणं अगमणं अग्गहणं पुच्चगहियस्स या अपडिभोगो, एवं बेमि इति एवं अकप्पितविमोक्खो । निषेधनरांग सूत्र भवति, स एव अहिगारो, भिक्खं च खलु पुट्टा वा अपुट्ठा वा जो इमं आधच गंधा फुसंति भिक्य पुब्वभणितो, च चूर्णिः ॥२६॥ | पूरणे, खलु विसेसमे, भावभिक्षु विसेसेइ, पुट्ठो णाम आपुच्छित्ता, जहा अहं तुज्झ अट्ठाए असणादि करेमि जाव आवसह समुस्सिणामि, सो जति वारितो ठाति तो सुंदरं, तेण ण अहिगारो, जो पुण बारितो संतो करेति अबस्स एसो गिहिहित्ति, अपुट्ठा अपुच्छित्ता चेव करेंति, एवं पुट्ठा वा. जे इमे आहच णाम कयाइ गंथणं गंथो, से रायपुत्तो वा अनतरो इस्सरो वा अणिस्सरोM वा, तत्थ बहुते दबजाते कतपरिश्चातो, सिद्धो, भंगे वाकते रोसेण बंधेज णियलेहि रज्जूए वा संडंसगरूद्धए वा कीरेज, अतोते। Oणियलादिगंथा, यदुक्तं भवति-बंधा, फुसंति, जं भणितं पावेंति, इमे य अण्णे-से हताहणध खणह छणह डहह पयह जाव M विप्परामुसह सेति णिहेसे इस्सरी इस्सराइजो अणजो, हंत आमंतणे संपेसणे वा, पुरिसे आमतेत्ता संपेसेति, मते तु महता| पयत्तेणं तेर्सि साघिय असणाति, ण य इच्छंति, एनो तं मम ण दबं जातं ण धम्मो, तं एते हह हत्थेण वा केसेण वा णखेण । अवदार ताव कसेहिं पिहेह जाब सेवमाणिपललिताधि एवं खतो भवति, छिंदह इत्यपादकष्णणासंति, डहह खारादिणा, पय-11 |घ उंमुगादिणा आलुपह मुखणखैर्भक्षय, एवं विप्पलुपथ भूतो भूतो सहसकारण, सीसं से छिंदह, हथिपायस्स वा णं देह, | विविहं परामुसह, यदुक्तं भवति-डसह, ते फासे पुट्ठो अहियासए ते इति जेएते भणिया बंधवहखणणछेदणादि, अहवा फासा हेमंते सीतोडएण सिंचह, गिम्हे उम्हे धरेह, तेसिं फासेहिं पुट्ठो, संम अहियासए, अणुलोमे वा करिजा बहुयदनकयवतो सड़ो जतो मम मंदपरिव्वएणावि ता बुझं, सच्चसंघस्स वा, णवर्ग 'कयं च साली घरगुलगोरस' गाहा, अन्न तरकालोपगं वा भत्तं, तं ॥२६॥ दीप अनुक्रम [२१५२१९] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [276]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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