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________________ आगम भाग-1 “आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [६], उद्देशक [४], नियुक्ति: [२५२...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १८८-१९३] (०१) प्रत वृत्यक [१८८१९३] आचा-DI सम्म उडाए समुहाए, ण मिच्छोपडाए, गोविंदवत, अविहिंसगा सुबता दंता सचबादी जाव संतुट्ठा सोभणाणि वताणि सुववादि चूर्णिः सिं सुचता, तवजुत्ता इंदियनोइंदियदंता, णागज्जुण्णा ते-समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसू ।।२३२॥ | अविहिंसगा सुखता दंता परदत्तभोइणो पावकम्मं णो करिस्सामो समुहाए एवं महईए पहपर्ण तरित्ता सियावित्ता विहारिणो अधऽणंतरे, एगेण सम्वे, पासंडी व सीहि अणुदारसत्तचाए, परीसहपराजिते उई परतिनिसचा उप्पइत्ता, आम-IN | रणांताए संजमट्ठाणे हिचा गारवदोसाओ पुणो पडिवपमाणे, कत्थ ?-अविरतीए गिहवासचारए वा, पडिवयमाणो पडिते य, वस| हिकायरा जणावासे बढुंतीति, वसही केसि, इंदियवसहगारवाणं अस्थित्ते आदारे, जेसि कायरा य दुक्खं भवति, ण तवसूरा, । | जाईति जाइस्संति य जाणंति वा कम्माणि जणा, अहवा जणा इति साह, ते पडिभग्गा समणा ण साहू जणा वुचंति, काउं दुद्ध-10 राणि अट्ठारससीलंगसहस्साणि धारेस्सतीति दवलिंगस्स भावलिंगस्स लूसगा भवंति, तेसि बयाणं, केई दरिसणस्सवि 'अह| मेगेसिं लोए पावए भवति' अह तेसि भग्गययाणं भग्गउच्छहाणं भग्गपरकमाणं गारववसोते उप्पअयित्वाणं, पंसेति पातेति | वा पावगं असिलोगो, अहमेसो, सो तु सपक्खाओ परपक्खाओ तहा, सपक्वं परपक्खं वा, तत्थ ताव परपक्खाओ परोक्खं जति | कोइ पसंसति सुतेण वा जातीए वा तो भणति-धिरत्धु या, तेसि तु तस्स उबदेसे ण वति, जहा खरोचंदणभारवाही भारस्स | भागीण चंदणस्स',हीणं से जाति कुलं वा. मा एतस्स कुलफंसणस्स णामपि गिण्डादि, असिक्खिगिज्मस्स पन्चईसु, उप्पण्व। इयाणं देवावि बीभेति, जेवि समविस्समियाहि धम्म करेंति, एवं सक्खमवि केइ भणति, विवातउपमहादिसु रोसिता अरोसिता वा मुकत्थं भगंति, अण्णं परावति, आदिचाणि ज्झायति, चप्पडियं देति, तमि य आगते परिसमझाओ पंतीओ वा उद्वेति सप- ॥२३२॥ दीप अनुक्रम [२०१ २०६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [244]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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