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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [५], उद्देशक [६], नियुक्ति: [२४९...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १६६-१७१] (०१) | काया, जीवंता अहि किच बुचति-सचे सरा नियति, सब्वे पवाया तस्थ णिपति, फिमिति ?-'तका जत्थ ण विजई' तका श्रीआचाAणाम मीमांसा, हेऊ मग्गो, ग य हेऊहिं परिक्खमाणो अप्पा सक्खं उपलब्भति घडो वा, जम्हा य एसो तकागेझोण भवति वेणी यादि चूर्णिः अथ चउब्धिहावि मती ण माहिता, उप्पति उग्गहादि वा मती, केवलपचक्खो, 'ओओ अपतिढाणस्स खेयण्णो' ओयेत्ति-एग ।।१९९॥ स एव जीवो अण्णं सरीरादि, अहया केवलणाणं ओयं, अपइट्ठाणस्स खेयण्णेति सो प अप्पइट्ठाणो-सिद्धो, से ण दीहे ण हस्से | ण बढे ण तसे ण चउरसे ण पडिमंडले' एतं संठाणं,'ण किण्हे जाव मुकिल्ले एतं रूवं गहितं, 'ण सुन्भिगंधे ण प्रत दुन्भिगंधे' गंधो गहितो, 'ण तित्ते ण कटुए ण अंबिले ण महुरे' रसो गहितो, 'ण कक्खडे जाव ण लुक्खे'फासो गहितो, काउगहणेणं लेसाओ गहिताओ, अहवा ण काऊत्ति ण कायव्य, जहा वेदिगाणं एगो पुरिसो खीणकिलेसो अणुपविसति, वृत्यक आइञ्चरस्सीओ वा अंसुमंति, एवं 'णवि रुहि"ति रूह बीजजम्मणि, ण पुण जणेइ अग्गीदड़बीयं चा, ण संगे इति जहा आजीवणगे, [१६६ "पुणो किडापदोसेणं से तत्थ अवरज्झति"ण इत्यिवेदगो"ण अण्णहति ण णपुंसवेदगो, किंतु केवलं 'परिणो सबओं' | समंता जाणइ परिण्या सब्बतो सभालकखणो, (उपमा) ण विजति, जहा इदिएहिं एगदेसेणं णचति, गाणदरिसणमतो, उवमा ण १७१] बिञ्जति, जहा कंतीए चंदेण मुहस्स उबमा कीरति एवं ण संसारिएणं केणइ भावणं सिद्धस्स मकति उपमं काउं तस्मुक्खस्स बा, भणियं च-"इय सिद्धाणं सोक्ख अणोवम" केवलं तु अरूबी, सतो भावो सचा, ण एवं अभावो पावति, अपदस्स पदंणस्थिति बुञ्चति, अपदो हि दीहजाइओ, तस्स गच्छओ दीई वढू परिमंडलं वा पदं पत्थि, एवं णिबाणस्स उवमा णत्थि, से ण सद्दे ण रूवे दीप ण.' (सू. १७२) पुनमणि तु, मुत्तदवाणं सदाइमंतं भवति, सो य तबिहम्मिते, तस्स सदाहमण विजति, इति परिस- ||१९९।। अनुक्रम [१७९१८५] | Ka पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [211]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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