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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [४], उद्देशक [१], नियुक्ति: [२२७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १२६-१२९] (०१) आद्रशुष्क प्रत वृत्यक [१२६१२९] श्रीआचा-ताला ताचसो, पच्छा रसपडिओ, मालाविहारो जत्थ णिचं मल्लं कीरति, आरहती पुण णागतीति, रण्णा पुच्छितो अमची भणइ-गविसि-II रांग सूत्र IMA सामि, ण पुरिसा संदिवा, तेहि य चेल्लओ मिक्खायरिये दोसीणस्स हिंडमाणो दटुं गहितो, पायो य से अक्खाओ, सो भणइचूर्णिः 'खंतस्स दंतस्स जिइंदियस्म' गाहा (२३१-१५८) भिण्णो पातउनि, धूललक्खेणं वालेण एतं रण्याऽभिसद्दहितो, पच्छा PA ॥१३॥ | रण्णा युञ्चति-देहिहितं मम खुड्या धर्म कहेह, तेण य चेडरूवत्तणेण दोनि चिक्खल्लगोलया पुच्चगहिता, सो ते को आवडे (0 ऊग पुणो संठितो, पण्णा पुच्छितो भणातु, एसेव धम्मो कहिओ। 'उल्लो सुको य' गाहा (२३२-१८८) 'एवं लग्गति गाहा (२३३-१८८) गया सावओ जाओ, अहवा खुडओ गतो चेव, रोहगुतो भणइ-सब्बे एते भगन्ति-ण अहं न मृति पुलोएउं, किंतु वक्खेपदोसा ण णिदिदुनि, एगो मणइ-मिक्खालोमेण, एगो भणति चेडरूववक्खेवेणं, अण्णो भण्णति-विहारपूयावखे-H वेणं, तेण ते सम्बे अवीयरागा, जो पुण भणति-खंतस्स दंतस्स जिइदियस्स एसो बीयरागमम्गे ठितो, एयस्स मोक्खो अस्थि, दिद्रुतो दोहिं गोलरहि, सुक्खेण उल्लेण 'सुक्खो उल्ले य' गाहा ।। सुत्ताणुगमे सुत्तमुचारेयचं, से बेमि जे अईया' से णिद्देसे सगारस्स आएसा तं चेमि, तमिति सम्मत्तं, अहवा एकेको गणहरो सीसेहिं उबासिजमाणो ते वेमि सम्मत्तं, जं णिक्खेवणिज्जुतीए चुत्तं तं बेमि, 'जे य अतीता' 'जे' इति अणुट्ठिस्स गहणं, अतीतद्धाए अर्णता अतीता, जे इति पटुप्पण्या पंचसु भरहेसु | | पंचसु एरवएमु पंचम महाविद हेसु, जहिं काले भवा वा तहि काले पन्नरससु कम्मभूमीसु, अस्थि तित्थगरा अणागता, अणागतद्वाए अर्णता, सब्चे अपरिसेसा एवमाइक्खंति, बङ्कमाणग्गहणेण अतीताणागतावि सूयिता काला, अतीते एबमाइक्वंसु अणागए एवमाइक्खिस्संति जाब पण्णवेस्संति, मब्वे य जाव सव्ये अपरिसेसिता जम्हा आणयंति वा, जाब जम्हा सुभासुभेसु कम्मेसुण इंत ॥१३३॥ दीप अनुक्रम [१३९१४२] र पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [145]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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