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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [४], उद्देशक [१], नियुक्ति: [२२७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १२६-१२९] (०१) श्रेणि प्रत वृत्यक [१२६१२९] श्रीआचा- संजता, तत्थ एगो मिच्छत्तपंचगस्स खवणमुहो, एगो खवेति, एसो अर्णतकम्मंसो बुञ्चति, अबो देसणमोहणिजखवणामिमुहो, | निर्जरागंग सूत्र-IA । अम्रो खबेति, अण्णस्स खीणो, अनो उवसामगसेढीए अमिमुहो, अण्णो उक्सामेति, अण्णस्स अट्ठावीसतिविहंपि उबसंत, एवं चूर्णिः खवणाएवि तिनि गमा, अवरो सजोगिकेवली, ततोऽवि सेलेसिं पडिवण्णो असंखिजगुणनिजराए पद्दति, तधिवरीतो कालो | ॥१३२॥ | संखिजगुणाए सेढीए जावतियं कम्मं जचिरेण वा कालेण सेलेसि पडिवण्णो खवेति ततियं कम्मं सजोगिकेवली संखिजगुणेण | कालेण खवेति, एवं जाब पुच्छिउंकामो अपुच्छिउंकामो य, एवं दसणवतो तवनाणचरणाणि सफलाणि भवंति, जो पुण आहारो| बधिवसहिणिमित्तं तवनाणचरणाणि करेति बाहिरन्भतरो तवोऽवि भासियथ्यो सव्वो, सम्मदिद्विस्सवि आहारादिनिमित्त कीर| माणो नि'फलो भवति, किमंग पुण अण्णाउस्थिया गिहित्था य विसयकसायातिसत्ता हिंसातिसत्ता य संसारमोक्ख ण काहिति', तत्थ उदाहरण-सुत्तफासियगाहाओ पढमुद्देसए इमाओ दोभि'जे जिणवरा अतीता' गाहा (२२५-१७९) छज्जीवनिकाय' | गाहा (२२६-१७९) 'खुड्गपायसमासा' गाहा (२२७-१८७) वितियस्स चरिमसुत्ने 'जह खलु ऋसिरं कहूँ तहा णिज्जु- त्तीए चेव सर्व भासिअति, पाडलिपुतं नयर, तत्थ जियसत्तू राया, रोहगुचो अमच्चो सावत्रओ, राया अत्थाणितवरगतो कयाइ धम्मवीमंसं करेइ-कस्स धम्मो सोमणो , जो जस्स कत्थि (कुला) गतो सो तं पसंसइ, रोहगुचो तुण्डिको अच्छमाणो रण्णा भणिओ-तुमं पुण तुहिको अच्छसे, पुणो पुच्छियं तो भणइ-जो जस्स रोयति सो तं धम्म पसंसइ, वीमंसिजतु, तुमं चेव परिTEL वाहित्ति, तेण पातओ कतो 'सकंडलं वा वयणं णवति, पासंडिणो सम्वे सरावेउं वुचा, जो एतं भिंदति तस्स राया जहिच्छियं ॥ दाणं दति, भत्तिगतो य भवति, ने पातयं घेत्तुं सत्तमे दिवसे अत्याणीयवरगयस्मरणो उवदिता, पदम परिवायो उवद्वितो, पच्छा ॥१३२।। दीप अनुक्रम [१३९ १४२ पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता.....आगमसूत्र-[०१], अंग सूत्र-[१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [144]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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