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________________ आगम भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [२], उद्देशक [६], नियुक्ति: [१९७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ९६-१०४] (०१) अविधि Hama प्रत वृत्यक श्रीआचा-16 अहवा कोपि आयारकहणेण तुस्सति, कोई ण, अतीवादरेण तस्स तहेव कहेयब, अहवा रायादि उपसंते बहवो उनसमंति. मुह-DDI संग सूत्र- विहारं भवति, तेण तस्स जाव इच्छति ताव कहिजति सरीरउबरोह मोतुं, सेसेमु आवस्सगस्स परिहाणीए ण कहेयब्ध, अतिसेचूर्णिः | सिओ वा कहेति जो जहा उबसमीहिति, भावं नाउं कडेति, किं एयरस पियं अपियं वा, वेग्गं सिंगारं वा, तहा के अयं पुरिसे || ९७॥ | कं वा दरिसणं अभिष्पसते , जहा य इहलोइयपरलोइयअवायो ण होति कहतस्स तहा कहेयव्यं, परलोइओ अण्णहेउं पाणहेउं वा | उम्मम्ग वा उवदिसति एवमादि, इहलोइओ जम्मं मम्म कर्म परिहरियचं, ण य तप्पटमयाए जं सो दरिसणं अभिष्पसण्णो| | तस्सेवेगस्म भूयो भूयो दोसे देइ, सामण्योग वा दोसे देइ, पुच्छतस्प वा दोर्स दंसेति, जई राया भगति, लोयसिद्धेण वातेण । |शया णरगगामी, दशमूना सम चक्र, दशचकसमो ध्वजः । दशध्वजसमा वेश्या, दशवेश्यासमो नृपः ॥ १॥ नन्थ इमे दोसा | 'अविय हणे' अपि पदार्थसंभावने, अणिट्ठकहाओ एवं मण्णेज-एते सन्चधर्मबाहिरा, जहा रायधम्मंण याणंति तहा मोक्खधम्मपि | | पत्र, गेण्हेजा अतिकोहेण, अविय हणे अद्विणा मूट्टिणा एवमादि, अवियऽकोसेज वा हसिज वाणिस्साहिज वा कैमेज वा छवि| छेयं वा करिज, उदविजा अपि, वत्थादिच्छेदं वा, जहाति, छेदिज वा भिंदिन वा अवहरिज वा, भगिर्य च-"तत्थेव य निवर्ण बंधण णिच्छुमण कडगमदो य । णिचिसय व नरिंदो करिज संघपि सो रुट्टो ॥१॥ भइमाओपा कोइ वचु(द)इणीए कड़ियाए उदुरुढो तं चेव करेति, तच्चणिो उवासओ वा गंदवलाए बुद्धप्पत्तीए वा, भागातो भल्लीधरक्खाणेणं, छकिरियभत्तो वा पेढालउमाधरणेण, तुच्छाणवि दासभयगादीणं कहेमाणो जति भणति, अहम्मेण एरिसा भवंति, कट्ठासणा कुसिना कुभोयणावा, बण्णतो आयामंडितिया, दरिदवण्णगं वा, तं च उवहमति, ताहे सोण गिण्हेइ, पण वा पृणो पति, साहसिओ वा कोई अकोसेज वा जा | [९६ १०४] दीप |९७॥ अनुक्रम [९८१०८] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: [109]
SR No.035051
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages399
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size30 MB
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