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________________ आगम (४५) प्रत सूत्रांक [१४४] दीप अनुक्रम [२९८] [भाग-३९] “अनुयोगद्वार " - चूलिकासूत्र - २ ( मूलं+वृत्तिः) मूलं [१४४] / गाथा ||११४...|| पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ... आगमसूत्र -[ ४५], चूलिकासूत्र - [२] अनुयोगद्वार मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्तिः जहा - रूवीअजीवदव्वा य अरूवीअजीवदव्वा य । अरूवीअजीवदव्वाणं भंते! कइविहा पण्णत्ता ?, गो० ! दसविहा पण्णत्ता, तंजहा-धम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाचस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स परसा आगासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसा आगास० पएसा, अद्धासमए | रुवीअजीवदव्वाणं भंते! कइविहा पं० ?, गो० ! चउव्विहा पण्णत्ता, तंजहा -खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते णं भंते! किं संखिज्जा असंखिजा अनंता ?, गो० ! संखेज्जानो असंखेजा अनंता, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ - नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अणंता ?, गो० ! अनंता परमाणुपोग्गला अनंता दुपएसिआ खंधा जाव अनंता अनंतपएसिआ खंधा, से एएणऽट्टेणं गो० ! एवं बुच्चइ-नो संखेज्जा नो अ० अणंसा । जीवदव्वाणं भंते । किं संखिजा असंखिजा अनंता ?, गो०! नो संखिजा नो असंखिजा अनंता, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ-नो संखिजा नो असं For P&Pealise Cinly ~398~
SR No.035039
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 39 Anuyogdwar Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages560
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size129 MB
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