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आगम
(४४)
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
............. मूलं [५२/गाथा ||८१...|| .......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
व्याख्या
धिकारः
प्रत
ज्ञाताधिकार
सूत्राक
म.५१-५२
[५
]
इआ इड्डिविसेसा भोगपरिचाया पध्वजाओ परिआगा सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई सीलब्बयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवजणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरिआओ अ आघविजंति, उवासगदसाणं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेजा वेढा संखेजा सिलोगा संखेज्जाओ निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्ठयाए सत्तमे अंगे एगे सुअक्खंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजा पयसहस्सा पयग्गणं सज्जा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अ. णंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावाआघविजंत्ति पन्नविजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिजेति, से एवं आया एवं नाया एवं विन्नाया एवं चरणकरणपरूवणा आविजइ, से तं उवासगदसाओ ७॥ (सू. ५२) . 'से किं तमित्यादि, अथ कास्ता उपासकदशाः?. उपासका:-श्रावकाः तद्गताणुव्रतगुणवतादिक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशा-अध्ययनानि उपासकदशाः, तथा चाह सूरिः-'उवासगदसासु णमित्यादि पाठसिद्धं यावन्निगमन, नवरं
दीप
अनुक्रम [१४५]
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