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आगम
(४४)
[भाग-३८] “नन्दी”- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
............. मूलं [१३]/गाथा ||८१...|| ........... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र[४४] चूलिकासूत्र[१] नन्दीसूत्र मूलं एवं मलयगिरिसूरिरचिता वृत्ति:
प्रत
श्रीमलय- गिरीया नन्दीवृत्तिः ॥२३२॥
सूत्राक
[५३]
दीप अनुक्रम [१४६]]
सजयेयानि पदसहस्राणि पदाणेति एकादश लक्षा द्विपञ्चाशत्सहस्राणि इत्यर्थः, द्वितीयं तु व्याख्यानं प्रागिव भाषनीयं ।।
उपासकसे किं तं अंतगडदसाओ ?, अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई उजाणाई चेइआई वणसं
दिशाधि.
अन्तकडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइअपरलोइआ इडि- दशाषि. विसेसा भोगपरिच्चागा पव्वजाओ परिआगा सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाओ भत्तप
सास.५२-५३ चक्खाणाई पाओवगमणाइं अंतकिरिआओ आघविजंति, अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा संखिजा अणुओगदारा संखेज्जा वेढा संखेजा सिलोगा संखेजाओ निज्जुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्याए अट्रमे अंगे एगेसुअखंधे अट वग्गा अट्ट उद्देसणकाला अट्ट समुद्देसणकाला संखेजा पयसहस्सा पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा अर्णता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्रा भावा आधविनंति पन्नविजंति परूविजंति इंसिजति निदंसिर्जति उवदंसिजंति, से एवं आया एवं नाया एवं विन्नाया एवं चरणकरणपरूवणा आपविजइ, से तं अंतगडदसाओ ८॥ (सू. ५३)
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॥२३॥
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अंतकृद्दशा-अंग सूत्रस्य शास्त्रिय परिचय: प्रस्तुयते
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