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________________ आगम (३३) "मरणसमाधि” - प्रकीर्णकसूत्र-१० (मूलं+संस्कृतछाया) ------------------------- मूलं [५५९]----------- पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[३३]प्रकीर्णकसूत्र-[१०] "मरणसमाधि मूलं एवं संस्कृतछाया प्रत सूत्रांक ||५५९|| मुहावडिएणं रसियं अभीपहियएणं ॥५५९ ॥ १७९४ ॥ कत्था अइदुप्पिक्खो भीसणविगरालघोरवय-18 राणोऽहं । आसि महंविय वग्यो रुरुमहिसवराहविवओ ॥ ५६० ॥ १७९५ ।। कत्थइ दुविहिएहिं रक्खसवे पालभूयरूवेहिं । छलिओ वहिओ य अहं मणुस्सजम्मम्मि निस्सारो॥५६१ ॥ १७९६ ॥ पयइकुडिलम्मि कधइ संसारे पाविऊण भूयतं । बहुसो उचियमाणो मएवि बीहाविया सत्ता ॥ ५६२॥१७९७ ॥ विरसं आरसमाणो कत्थई रपणेसु घाइओ अहयं । सावयगहणम्मि वणे भयभीरू खुभियचित्तोऽहं ॥ ५६३ ॥ है॥१७९८ ॥ पत्तं विचित्तविरसं दुक्ख संसारसागरगएणं । रसियं च असरणेणं कयंतदंतंतरगएणं ॥५६४ ॥ ॥ १७९९ ॥ तइया कीस न हायइ जीवो जइया सुसाणपरिविद्धं । भल्लुकिकंकवायससएसु ढोकिजए देह ॥ ५६५ ॥ १८०० ॥ तातं निजिणिऊणं देहं मुनूण वच्चए जीवो। सो जीवो अविणासी भणिओ तेलुकद दीप अनुक्रम [५६०] A4GROR दुष्प्रेक्ष्यो भीषणविकरालपोरवदनोऽहम् । आसं महानपि च व्यायो रुरुमहिपवराहविद्रावकः ॥ ५६० ॥ कचिदुर्विहित राक्षसवैतालभू-| तरूपैश्चलितो हनचाहं मनुष्यजन्मनि निःसारः ।। ५६१ ।। प्रकृतिकुटिले कचित्संसारे प्राप्य भूतत्वं बहुश उद्विजन मयाऽपि भापिताः | सत्त्वाः ।। ५६२ ॥ विरसमारसन कचिदरण्येषु घातितोऽहम् । भापदगहने वने भयभीरुः क्षुब्धचित्तोऽहम् ॥ ५६३ ॥ पातं विचित्रबिरसं दुःख संसारसागरगतेन । रसित चाशरणेन कृतान्तदन्तान्तर्गतेन ॥५६४॥ तदा कथं न हीयते जीवो यदा (तस्य)श्मशानपरिविद्धः ।। शृगालकवायसशतेषु अढीक्यत देहः ॥ ५६५ ॥ तत्तं निर्जित्य देहं मुक्त्वा ब्रजति जीवः स जीवोऽविनाशी भणितत्रैलोक्यदर्शिभिः | Jinnrstimimminen ~92~
SR No.035027
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 27 Maransamadhi Prakirnak Mool evam Sanskrit Chhaya Nishith Bruhatkalp Vyavahar Dashashrutskandh Mahanishith 5 Chhedsutrani Moolam Jitkalp Moolam evam Bhashyam Panchkalp Bhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages330
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_maransamadhi
File Size99 MB
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