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________________ आगम (१८) “जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) वक्षस्कार [२], ---------------------- ------ मूलं [३१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१८]उपांगसूत्र-[७] "जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति" मूलं एवं शांतिचन्द्र विहिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३१] सिआ समणोवासगसंपया होत्या, उसभस्स पं० सुभदापामोक्खाओ पंच समणोंवासिआसयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उकोसिआ समणोबासिआसंपया होत्था, उसमस्स णं अरहओ कोसलिअस्स अजिणाणं जिणसंकासाणं सबक्खरसन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं चत्तारि चउद्दसपुधीसहस्सा अट्टमा य सया उक्कोसिआ चउदसपुधीसंपया होत्था, उसमस्स पं० णव ओहिणाणिसहस्सा उफोसिआ०, उसमस्स पं० वीसं जिणसहस्सा वीसं वेउश्चिअसहस्सा छच्च सया उकोसिआ० बारस विउलमईसहस्सा छम सवा पण्णासा वारस वाईसहस्सा छच्च सया पण्णासा, सभस्स पं० गइकहाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभदाणं बावीसं अणुत्तरोत्रवाईआणं सहस्सा णव य सया, उसमस्स f० वीसं समणसहस्सा सिद्धा, चत्तालीसं अजिआसहस्सा सिद्धा सहि अंतेवासीसहस्सा सिद्धा, अरहोणं उसभस्स बहवे अंतेवासी अणगारा भगवंतो अप्पेगइमा मासपरिआया जहा उववाइए सबओ अणगारवण्णओ जाव उद्धंजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं सवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति, अरहओ ण उसमस्स दुविहा अंतकरभूमी होत्या, तंजहा-जुगंतकरभूमी अ परिआयंतकरभूमी य, जुर्गतकरभूमी जाव असंखेजाई पुरिसजुगाई, परिआयंतकरभूमी अंतोमुहुत्तपरिआए अंतमकासी (सूत्र ३१) 'उसमे णमित्यादि, ऋषभोऽर्हन कौशलिकः साधिकं समासमित्यर्थः, संवत्सरं-वर्ष यावद् वस्त्रधारी अभवत्ततः परमचेलकः, अत्र ये केचन लिपिप्रमादादादर्शविदमधिकमित्याहुस्तैरावश्यकचूर्णिगतश्रीऋषभदेवदेवदूष्याधिकारेऽय१सको अ लक्समुल गुरदूत ठवइ सम्पत्रिणसन्थे। वीरस्म वरिसमहि सयावि सेखाग तस्रा टिति॥१॥ति प्रन्यान्तरवचनादधिक संभाव्यते (इति हीर वृत्तौ)। cisesesentisersesesestartseisersersects अनुक्रम [४४] ~305
SR No.035023
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 23 Jambudwippragyapti Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages376
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size92 MB
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