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________________ आगम (१७) "चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) प्राभूत [१०], -------------------- प्राभृतप्राभृत [२२], -------------------- मूलं [६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६०]] दीप जेणं णव मुहले सत्तावीसं च सत्तविभागे मुहुप्सस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि नक्खत्ता जे णं पण्णरस १० प्राभृते तिवृत्तिः है मुहले चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्धि णक्खत्ता जे णं तीसमुहुत्ते चंदेण सद्धि जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता २२ प्राभृत. (मल.) जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एतेसि गं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खसे प्राभुते ४ नक्षत्रयोगा॥१७५॥ जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्ससहिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कतरे णक्खत्ता जे णं पन्न-121 दिसू६० रसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कतरे णक्खसा जे णं तीसं मुहत्ते चंदेणं सर्दि जोयं जोएंति, कतरे ५ मणक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एतेसि णं छप्पण्णाए णक्खत्तार्ण तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तहिभागे मुहुत्तस्स चंदण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं दो अभीपी, तत्थ जे ते णवत्ता जे गं पण्णरस मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते ण वारस, तंजहा-दो सत-15 भिसया दो भरणी दो अद्दा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्ठा, तत्थ जे तीसं मुहत्ते चंदेण सद्धि जोयं * जोएंति ते णं तीसं, तंजहा-दो सवणा दो धणिट्ठा दो पुषभदवता दो रेवती दो अस्सिणी दो कत्सिया दो। संठाणा दो पुस्सा दो महा दो पुवाफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो अणुराधा दो मूला दो पुवासादा, तत्थ जे तेणखत्ता जे णं पणतालीसं मुहसे चंदेण सद्धिं जोएंति ते णं बारस, तंजहा-दो उत्तरापोहचता दोरोहिणी ॥१७॥ दो पुणवसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा दो उत्तरासाढा, ता एएसि गं छप्पण्णाएणक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयंजोएंति, अस्थि णक्खत्ता जेणं छ अहोरत्ते एकवीसं च अनुक्रम EXA%ASH4555555 [९१] ~363~
SR No.035022
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages614
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size133 MB
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