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________________ आगम (१७) "चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [१०], -------------------- प्राभृतप्राभृत [१६], ------------------- मूलं [५०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सुत्राक + [१०] + सर्या- पण्णते, अस्सादणसगोते पण्णते, भरणीणक्खत्ते किंगोत्ते पण्णते?, भग्गवेससगोते पं०, कत्तियाणक्खसे||१०माभृते प्तिवृत्तिः किंगोते पण्णते ?, अग्गिवेससगोत्ते पं०, रोहिणीणक्षत्ते किंगोसे पं०१, गोतमगोत्ते पण्णत्ते, संठाणाण-१६माभृत(मल०) क्खत्ते किंगोसे पं.१, भारहायसगोते पणते, अहाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, लोहिचायणसगोत्ते पं०, पुण- प्राभृते वसूणक्खत्ते किंगोते पण्णत्ते ?, वासिहसगोत्ते पं०, पुस्से णक्खत्ते किंगोत्ते पं०, उमज्जायणसगोत्ते पं०8 नक्षत्रगो. ॥१५॥ अस्सेसाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, मंडवायणसगोत्ते पं०, महाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, पिंगायणसगोत्ते पं०, ब्राणि सू५० पुषाफग्गुणीणक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, गोवल्लायणसगोत्ते पं०, उत्तराफग्गुणीणक्खते किंगोते पं०१, कासव-12 गोते पण्णत्ते, हत्थेणक्वत्ते किंगोत्ते पं०१, कोसियगोत्ते पण्णते, चिसाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०, दभियाणस्सगोसे पपणत्ते, साईणक्खत्ते किंगोत्ते पण्णते?, चामरछगोत्ते पं०, विसाहाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, सुंगायणसगोते पं०, अणुराधाणक्खते किंगोसे पं०१, गोलचायणसगोते पं०, जेट्टानक्खत्ते किंगोत्ते पं०१, तिगिकछायणसगोसे पं०, मूलेणखत्ते किंगोत्ते पं०?, कच्चायणसगोते पपणत्ते, पुवासाढानक्षत्ते किंगोत्ते पण्णते?, वझियायणसगोते पण्णत्ते, उत्तरासाढाणक्खत्ते किंगोते पण्णत्ते , वग्यावच्चसगोत्ते पण्णत्ते ॥ का(सूत्रं ५०) दसमस्स पाहुडस्स सोलसमं पाहुडपाहुडं समतं ।' मा॥१५॥ 1-'ता कहते'इत्यादि, इति (अत्र ) नक्षत्राणां स्वरूपतो न गोत्रसम्भवः, यत इदं गोत्रस्य स्वरूपं लोकप्रसिनिमुपागमत्-प्रकाशकाद्यपुरुषाभिधानतस्तदपत्यसन्तानो गोत्रं, यथा गर्गस्थापत्यं सन्तानो गर्गाभिधानो गोत्रमिति, न चैवस्वरूप +S अनुक्रम [७३] FACh ॐक ~313~
SR No.035022
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages614
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size133 MB
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