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________________ आगम (१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) प्राभत [६], --------------------- प्राभतप्राभूत [-], -------------------- मूलं [२७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्राक सू२७ [२७] सूर्यप्रज्ञ- यस्स ओया अन्ना उप्पजइ अन्ना अवेइ, एगे एवमासु १२, एगे पुण एवमाइंसु ता अणुपुबसयमेव सूरियस्स ओया ओजःप्तिवृत्तिः अन्ना उप्पज्जइ अन्ना अवेइ, एगे एवमाहेसु १४, एगे पुण एवमासु ता अणुपुषसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्प- स्थिति(मल.) जइ अन्ना अवेइ, एगे एवमासु १५, एगे पुण एवमासु ता अणुपुबसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उपजा, प्राभृते ॥१॥IDअन्ना अवेइ, एगे एवमाईसु १६, एगे पुण एवमासु ता अणुपलिओषममेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जा, अन्ना अवेहDI एगे एवमासु १७, एगे पुण पवमासु ता अणुपलिओवमसयमेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पाइ, अन्ना अवेइ, एगे। Kएवमासु १८, एगे पुण एवमाहेसु ता अणुपलिओवमसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जा अन्ना अवेइ, एगे एव-14 मासु १९, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुपलिओवमसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जइ, अन्ना अवेह, एगे एव-| माईसु २०, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोषममेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पज्जइ, अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु २१, एगे पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोवमसयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ, अण्णा अवेह, एगे एवमासु २२, एगे। पुण एवमाहंसु ता अणुसागरोवमसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जा, अन्ना अवेइ, एगे एवमाहंसु-२३, एगे पुष्प एवमासु ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमासु २४, एगे पुण पवमाहंसु ता अणुउस्सप्पिणिोसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अन्ना उप्पजइ, अन्ना अवेइ, एगे एवमाइंसु २५' एताश्च XI मापतिपत्तयः सवों अपि मिथ्यात्वरूपा यतोऽत एतासामपोहेन भगवान् स्वमतमुपदर्शयति-वयं पुनरेवं वक्ष्यमाणप्रकारेण IX॥८१॥ बदामः, तमेव प्रकारमाहता तीस मित्यादि, ता इति पूर्ववत् , जम्बूद्वीपे प्रतिवर्ष परिपूर्णतया त्रिंशतं त्रिंशतं मुहचान अनुक्रम [४१] ~175
SR No.035022
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages614
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size133 MB
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