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________________ आगम (१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) प्राभूत [५], --------------------प्राभूतप्राभत [-1,-------------------- मूलं [२६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: सूर्यप्रज्ञप्ति आधारेण मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१७],उपांगसूत्र-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: प्रत सूत्राक [२६]] सूर्यप्रज्ञ- त्यादि प्रत्यालापकं च पूर्वोक्तानि पदानि योजनीयानि, तत एवं सूत्रपाठ:-'एगे पुण एवमाहेसु ता मणोरमंसि णं पवयंसि ५ माभूते हिवृत्तिःसूरियलेसा पडिहया आहियत्ति वइज्जा एगे एवमासु ३, एगे पुण एवमाहंसु, ता सुदंसणंसि णं पवर्षसि सूरियलेसालेश्याप्रति(मल०) पडिहया आहियत्ति वएजा, एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु, ता सयंपहसि णं पवयंसि सूरियलेसा पडिहया हतिः सू२६ आहियत्ति वइज्जा एगे एवमाईसु ५, एगे पुण एवमाहंसु ता गिरिरायसि णं पवयंसि सूरियलेसा पडिहया आहियत्ति ॥७७॥ Bावएजा, एगे एवमासु ६, एगे पुण एवमाइंसु ता रयणुचयंसि पयंसि सूरियलेसा पडिया आहियत्ति वइज्जा एगे एवमाहंसु ७, एगे पुण एवमाहेसु ता सिलुच्चयंसि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वएज्जा, एगे पवमा मासु ८, एगे पुण एवमाइंसु ता लोयमझसि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति चएज्जा, एगे एवमाहंसु ९, जाएगे पुण एवमाहंसु ता लोगनाभिंसि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वइजा एगे एवमाहंसु १०, एगे पुण एवमाईसु ता अच्छसि गं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वइज्जा एगे एवमाइंसु ११, एगे| पुण एवमाइंसु ता सूरियावसि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वएना एगे एवमाहंसु १२, एगे पुण पवमाहंसु ता सूरियावरणंसि पश्यसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वएजा, एगे एवमाहंसु १३, एगे पुण एव-181 माइंसु ता उत्तमंसि णं पञ्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिया आहियत्ति वएज्जा, एगे एवमाहंसु १४, एगे पुण एवमाहंसु Iता दिसादिस्सि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वएज्जा, एगे एवमाहंसु १५, एगे पुण एवमाहंसु ता | | ७७॥ अवतंससि णं पवयंसि सूरियस्स लेसा पडिहया आहियत्ति वएजा एगे एवमाहंसु १६, एगे पुण एवमाहंसु ता धरणि-| SHARE अनुक्रम [४०] ~167~
SR No.035022
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 22 Chandrapragyapti Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages614
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size133 MB
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