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________________ आगम (७) भाग-१३ "उपासकदशा अध्ययन [१], ------ मूलं [१३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[७] अंगसूत्र- [७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: उपासक- दशाओं प्रत ॥१६॥ सूत्रांक [१३]] माम, सा चेयम् 'पसेहि' आरम्भ सावज कारचंद नो गुरुयं । पुबोइयगुणजुत्तो नव मासा जाब विहिणा उ । 'दसमिति दशमी | आनन्दाउद्दिष्टभक्तवर्जनप्रतिमा, सा चैवम्-'उदिटुकडं भत्तपि बज्जए किमय सेसमारम्भ । सो होइ उ खुरमुप्डो सिहलि वा घारए कोइ ॥१॥ ध्ययन द पटो जाणं जाणे शक्य नो य नो वेति । पुरोदियगुणजुत्तो दस मासा कालमाणेणं ॥ २ ॥ एकारसमिति एकादशी श्रमणभूतप्रतिमा, तत्स्वरूपं चैतत्-'खुरमुण्डो लोएण व रयहरणं ओगहं च घेत्तूणं । समणभूओ विहरइ धम्म कारण फासेन्तो ॥१॥ एवं उकोसेणं एकारस मास जाव विहरेइ । एक्काहाइपरेणं एवं सवत्थ पाएणं ॥२॥ इति ।। (म.१३) तए णं से आणन्दे ममणोवामए इमणं एयारवेणं उरालेणं विउलेणं परतणं पग्गहियेणं तवोकम्मेणं सुक्क । जाव किसे थमणिमन्तए जाए ॥ तए णं तस्स भाणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाइ पुवरत्ता जाव धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झस्थिए-एवं खलु अहं इमेणं जाव धमणिसन्तए जाए, तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरको मद्धाधिडसंवेगे,ते जाव ता मे अस्थि उट्ठाणे सद्धाधिइसंवगे जाव य मे धम्मा टीप अनुक्रम [१५] GOES १ प्रेष्यरारम्भ साना कारयति नो गुरुकम । पूर्वोदितयण युक्ता मय भासान पायद्विधिनय ॥१॥ २ उडिष्टकृतं भक्तमपि वर्जयति फिमृत जपमारम्भन । स भवति तु चरमण्डः शिखा वा धारयति कोअपि ॥१॥ द्रव्यं पृष्टी जानन जानामीति नाश नवति । पूर्वोदितगुणयुक्तो दश मासान् कालमानेन ।।२।। ३ वरमुण्डो लाँच्न वा रजाहरणमवग्रह व महारया । अमणभूती विहरति धर्म कार्यन म्पृशन ! १॥ एवमुत्कृष्टंनकादश मासान यावत विहरति । काहादेः परता एवं सत्र पायेण ॥२॥ Santaratmlenlond आनंदश्रावकस्य “११-श्रावकप्रतिमा- स्वीकार ~ 42~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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