SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 400
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१०) भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा". श्रुतस्क न्ध : [२], -------------------अध्य यन [१] ------------------- मल [२१-२३] + गाथा: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१०], अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक २१-२३] गाथा: दीप अनुक्रम [३०-३५] नाणबलिएहि सणवलिएहिं चरित्तबालिएहिं खीरासवेहि मधुआसवेहि सप्पियासहिं अक्खीणमहाणसिएहि चारणेहिं विज्जाहरेहिं चउरथभत्तिपहिं एवं जाब छम्मासमसिएहि उक्खित्तपरएहि निक्षितचरएहि अंत. चरपहिं पंतचरएहि लूहचरएहि समुदाणचरएहिं अन्नइलाएहिं मोणचरएहिं संसट्टकप्पिएहिं तज्जायसंसकप्पिएहिं उवमिहिएहिं सुद्धेसणिएहि संखादत्तिएहिं विलामिपहिं अदिलाभिएहि पुलाभिएहिं आर्यबिलिएहिं पुरिमड्डिएहिं एकासणिएहि निम्वितिएहिं भिन्नपिंडवाइएहिं परिमियपिंडवाइएहि अंसाहारेहिं पं. ताहारेहिं अरसाहारेहिं विरसाहारेहिं लूहाहारेहि तुच्छाहारेहिं अंतजीविहिं पंतजीविहि लूहजीविहिं तुच्छजीवीहिं उपसंतजीवीहि पसंतजीविहि विवित्तजीचीहिं अखीरमहसप्पिएहिं अमजामसासिएहिं ठाणाइएहिं पडिमंठाईहिं ठाणुकडिएहि वीरासणिएहिं सजिएहिं डंडाइएहिं लगडसाईहि वासगेहि आयावरहि अप्पावरहिं अणिट्ठभएहि अकंडुपएहिं धुतकेसमंसुलोमनखेहिं सम्यगायपडिकम्मविष्पमुकेहि समणुचिना सुयधरविदितत्थकायबुद्धीहिं धीरमतिबुद्धिणो ये जे ते आसीविस उगतेयकप्पा निच्छयववसायपज्जत्तकयमतीया णि सज्झायज्झाणअणुबद्धधम्मग्झाणी पंचमहव्वयंचरित्तजुत्ता समिता समितिसु समितपावा छविहजगवच्छला निश्चमध्यमत्ता एएहिं अन्नेहि य जा सा अणुपालिया भगवती इमं च पुढविदगअगणिमारुयतरुगणतसथावरसबभूयसंयमदयद्वयाते सुद्धे उञ्छं गवेसियव्यं अकतम कारिमणाहूयमणुद्दिट्ट अकीयकर्ड नवहि य कोडिहिं सुपरिसुद्धं देसहि य दोसेहिं विष्पमुकं उग्गमउप्पायणेसणासुद्ध ववगयचुयचावियत्र SAREauratonintimational "अहिंसा" स्वरुपम् एवं षष्ठी-नामानि ~400~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy