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________________ आगम (१०) भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा" - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], ----------------------- अध्ययनं [३] ----------------------- मूलं [१२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१०], अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सत्रांक प्रश्नव्याकर.श्रीअभयदेव वृत्तिः ३ अधर्म द्वारे चौरिकाal फलं सू०१२ [१२] ॥ ५५॥ दीप अनुक्रम निचं उत्तत्थसुण्णभयसण्णसंपउत्ता वसंति उब्धिगावासवसहिं जहिं आउयं निबंधंति पावकम्मकारी बंधवजणसयणमित्तपरिवज्जिया अणिहा भवंति अणादेजदुन्धिणीया कुठाणासणकुसेजकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा बहुकोहमाणमायालोमा बहुमोहा धम्मसन्नसम्मत्तपन्भट्ठा दारिद्दोबद्दवाभिभूया निचं परकम्मकारिणो जीवणस्थरहिया किविणा परपिंडतक्कका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छता रिद्धिसकारभोयणविसेससमुदयविहिं निंदंता अप्पक कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाई कम्माई पावगाई विमणसो सोएण डज्झमाणा परिभूया होंति सत्तपरिवजिया य छोभासिप्पकलासमयसत्थपरिवज्जिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोबजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा निरासबहुला आसापासपडिबद्धपाणा अत्थोपायाणकामसोक्खे य लोयसारे होति अफलवंतका य सुदुविय उज्जमंता तद्दिवसुजुत्तकम्मकयदुक्खसंठवियसिस्थपिंडसंचयपक्खीणदवसारा निच्च अधुवधणधपणकोसपरिभोगविवजिया रहियकामभोगपरिभोगसब्यसोक्खा परसिरिभोगोवभोगनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विणेति दुक्खं व सुहं णेव निब्बुर्ति उबलभंति अचंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता परस्स दब्वेहिं जे अविरया, एसो सो अदिण्णादाणस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महम्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चति, न य अवेयइत्ता अस्थि उ मोक्खोत्ति, एवमासु णायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अदिण्णादाणस्स फल [१६] ॥॥ ५५ ॥ ~311
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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