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________________ आगम (१०) भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा" - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्क न्ध : [१], ----------------------- अध्य यन [२] ----------------------- मल [७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१०], अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७] जवाहणता मित्तकलत्ताई सेवंति अयंपि लुत्तधम्मो इमोवि विस्संभवाइओ पावकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसु य पापगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपति मच्छरी, भड़के या गुणकित्तिनेहपरलोगनिप्पिवासा, एवं ते अलियवयणदच्छा परदोसुष्पायणप्पसत्ता वेढेन्ति अक्खातियवीएण अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिक्खियप्पलावा निक्खेवे अवहरंति परस्स अत्थंमि गढियगिद्धा अभिजुजति य परं असंतएहिं लुद्धा य करेंति कूडसक्खित्तणं असच्चा अस्थालियं च कन्नालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गत्यं भणंति अहरगतिगमण, अन्नपि य जातिरूपकुलसीलपञ्चयमायाणिगुणं चवलपिसुणं परमट्ठभेदकमसके विदेसमणस्थकारक पावकम्ममूलं दुद्दिई दुस्सुयं अमुणियं निलजं लोकगरहणिज वहबंधपरिकिलेसबहुलं जरामरणदुक्खसोयनिम्मं असुद्धपरिणामसंकिलिर्ट भणंति अलिया हिंसंति संनिविट्ठा असंतगुणुदीरका य संतगुणनासका य हिंसाभूतोवघातितं अलियसंपउत्ता धयणं सावजमकुसलं साहुगरहणिज्ज अधम्मजणणं भणंति अणभिगयपुन्नपावा, पुणोवि अधिकरणकिरियापवत्तका बहुविहं अणत्थं अवमई अप्पणो परस्स य करेंति, एमेव जपमाणा महिससूकरे य साहिति घायगाणं ससयपसयरोहिए य साहिति वागराणं तित्तिरवट्टकलावके य कविंजलकवोयके य साहिति साउणीणं झसमगरकच्छभे य साहिति मच्छियाणं संखंके खुल्लए य साहिति मगराणं अयगरगोणसमंडलिदचीकरे मउली य साहिति बालवीणं गोहा सेहग सल्लगसरडके य साहिति लुद्धगाणं गयकुलवानरकुले य साहिति पासियाणं सुकवरहिणमयणसालकोइलहंस अनुक्रम [११] ~258~
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
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