SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१०) प्रत सूत्रांक [४] दीप अनुक्रम [C] भाग-[१३] “भाग-१३ “प्रश्नव्याकरणदशा” – अंगसूत्र -१० (मूलं + वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], अध्ययनं [१] मूलं [... ४] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र - [१०] अंगसूत्र- [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः प्रश्नव्याक र० श्रीअ भयदेव० वृत्तिः ॥ २३ ॥ Jan Educator लिलमलणकुंभणभणअणलाणिलविवि हसत्थघट्टणपरोपराभिहणणमारणाविराहणाणि य अकामकाई पर - पओगोदीरणाहि य कज्जपओयणेहि य पेस्सपसुनिमित्तओसहाहारमाइएहिं उक्खणण उत्थापयणकोट्ट पण पट्टणभजणगाण आमोडण सडणफुडणभञ्जणडेयण तच्छणविलुं चणपत झोडणअग्गिदहणाइयाति, एवं ते भवपरंपरादुक्खसमणुबद्धा अति संसारबीहणकरे जीवा पाणाइवायनिरया अनंतकाल जेविय इह माणुसणं आगया कहिं वि नरगा उब्बडिया अधन्ना तेविय दीसंति पायसो विकयविगलरूवा खुज्जा वडभा य वामणा य बहिरा काणा कुंटा पंगुला बिउला य मूका य मंमणा य अंधयगा एगचक्खू विणिहयसवेल्लया बाहिरोगपीलिय अप्पा उय सत्थयज्वाला कुलक्खणुक्किन्नदेहा दुब्बलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा किविणा यहीणा ही सत्ता निश्चंसोक्खपरिवज्जिया असुहदुक्ख भागणरगाओ इ सावसेसकम्मा, एवं णरगं तिरिक्खजोणिं कुमाणुसतं च हिंडमाणा पार्वति अणंताई दुक्खाई पात्रकारी एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महभयो बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामजो कहइ सीहपाणवहणस्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुद्दो खुद्दो अणारिओ निग्विणो निसंसो महभओ बीहणओ तासणओ अणजो उब्बेयणओ य णिरवयक्खो निम्मो निष्पिवासो निकलुणो निरयवासगमणनिघणो मोहमहन्भवपवहुओ मरणवेमणसो पढमं अहम्मदारं समत्तंतिबेमि ॥ १ ॥ ( सू० ४ ) For Parts Only ~ 247~ और % %% % %% १ अधर्म द्वारे प्राणवधकारकाः प्रेत्यतदवस्थाश्च सू० ४ ॥ २३ ॥ rary o
SR No.035013
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 13 Upasakdasha Antkruddasha Anuttaropapatikdasha Prashnavyakaran Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages538
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size118 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy