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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [३१०] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३१०] -%ANCES दीप अनुक्रम [३८३] दियपओगपरिणया णं पुच्छा, गोयमा!तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणिय० थलचरति रिक्खजोणियपंचिंदियः खहचरतिरिक्खपंचिंदिय०, जलयरतिरिक्खजोणियपओगपुच्छा, गोयमा ! दुविहा ४ पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमजलयर गम्भवतियजलयर, थलयरतिरिक्ख० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा प-18 नत्ता, तंजहा-चउप्पयधलयर० परिसप्पधलयर०, चउप्पयथलयर० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा समुच्छिमचउप्पयथलयर गम्भवतियचउप्पयथलयर, एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्पा दुविहा पन्नत्ता, सतंजहा-उरपरिसप्पा य भुषपरिसप्पा य, उरपरिसप्पा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संमुच्छा य गम्भवतिया | &ीय, एवं भुयपरिसप्पावि, एवं खहयराचि । मणुस्सपंचिंदियपयोगपुच्छा, गोयमा दुविहा पन्नता, तंजहा समुच्छिममणुस्स० गम्भवकं तियमणुस्सः । देवपंचिंदियपयोगपुच्छा, गोयमा ! चउविहा पन्नत्ता, तंजहाभवणवासिदेवपंचिंदियपयोग एवं जाव घेमाणिया । भवणवासिदेवपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! दसविहा |पन्नत्ता, तंजहा-असुरकुमारा जाव धणियकुमारा, एवं एएणं अभिलावणं अट्ठविहा घाणमंतरा पिसाया | जाव गंधवा, जोइसिया पंचविहा पन्नता, तंजहा-चंदविमाणजोतिसिय जाव ताराविमाणजोतिसियदेव०, वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-कप्पोववन्न० कप्पातीतगवेमाणिय, कप्पोवगा दुवालसविहा पण्णत्ता, तंजहा-सोहम्मकप्पोवग जाव अनुयकप्पोबगवेमाणिया । कप्पातीत०, गो! दुविहा पण्णत्ता, तंजहागेवेजकप्पातीतवे० अणुत्तरोववाइयकप्पातीतवे०, गेवेजकप्पातीतगा नवविहा पण्णत्ता, तंजहा-हेहिम २ ~99~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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