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________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [३०९] गाथा दीप अनुक्रम [३८१ -३८२] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्तिः] शतक [८], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [१], मूलं [ ३०९ ] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः १ ॥१२८॥ मुक्तकडेवरादिरूपाः, अथवौदारिकादिवर्गणारूपा विस्रसया निष्पादिताः सन्तो ये जीवप्रयोगेणै केन्द्रियादिशरीरप्रभृतिपरिणामान्तरमापादितास्ते मिश्रपरिणताः, ननु प्रयोगपरिणामोऽप्येवंविध एव ततः क एषां विशेषः १, सत्यं, किन्तु प्रयोगपरिणतेषु विस्रसा सत्यपि न विवक्षिता इति । 'वीससापरिणय'त्ति स्वभावपरिणताः ॥ अथ 'पओगपरिणयाणमित्यादिना ग्रन्थेन नवभिर्दण्डकैः प्रयोगपरिणतपुद्गलान् निरूपयति, तत्र च पगपरिणया णं भंते! पोग्गला कहविहा पत्ता १, गोयमा 1 पंचविहा पत्नत्ता, तंजहा- एर्गिदियपओगपरिणया बेइंदिपपओगपरिणया जाब पंचिंदियपओगपरिणया । एर्गिदियपओगपरिणया णं भंते! पोग्गला कहविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा, तंजहा पुढविकाइयएगिंदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइकाइयए| गिंदियपयोगपरिणया । पुढविकाइयए गिंदियपओगपरिणया णं भंते! पोग्गला कहविहा पत्नत्ता १, गोयमा ! दुविहा पक्षता, तंजा-सुमपुढविकाइथए गिंदियपओगपरिणया बादरपुट विकाइयएगिंदियपयोगपरिणया, आउक्का इयएर्गिदियपओगपरिणया एवं चैव, एवं दुपपओ भेदो जाव वणस्सइकाइ या य । बेइंदिपपयोगपरिगया णं पुच्छा, गोयमा ! अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-, एवं तेइंदियचउरिंदियपओगपरिणयादि । पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! चउविहा पन्नत्ता, तंजा-नेरइयपंचिदियपयोगपरिणया तिरिक्ख०, एवं मणुस्स० देवपंचिंदिय०, नेरइयपंचिंदियपओग० पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहा पनत्ता, तंजहा - रयणप्पभापुढविनेरइयपयोगपरिणयावि जाव आहेसत्तमपुढविनरश्य पंचिंदियपयोग परिणयावि, तिरिक्खजोणियपचि For Past Use Only ~98~ ८ शतके उद्देशः १ प्रयोगादिः परिणामः सू ३०९ प्रायोगिकः सू ३१० ॥३२८॥ yor
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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