SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:] शतक [७], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१०], मूलं [३०६] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३०६] दीप अनुक्रम [३७८] व्याख्या- जणवयविहारं विहरइ, तेणं कालेणं तेणं समएणरायगिहे नाम नगरे गुणसिले णामंचेइए होत्था,तए णंसमणे ७शतके प्रज्ञप्तिः भगवं महावीरे अन्नया कयाइ जाव समोसढे परिसा पडिगया, तए णं से कालोदाई अणगारे अन्नया कयाइ | उद्देशः१० अभयदेवी मोजेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ समर्ण भगवं महावीरं वंदा नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं व- पापकल्याया वृत्तिः || यासी अस्थि भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कजति ?,हंता अस्थि । कहपण भंते ! जीवाणं || टणकर्मविपा कःकालोदा ॥३२५॥ ट्रा पावा कम्मा पावफल विवागसंजुत्ता कजंति, कालोदाई से जहानामए के पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्धं यधिकारः अट्ठारसबंजणाउलं विससंमिस्सं भोयणं मुंजेज्जा तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवति तओ पच्छा परिणममाणे परि० दुरूवत्ताए दुगंधत्ताए जहा महासवए जाव भुजो २ परिणमति एवामेव कालोदा जी| वाणं पाणाइवाए जाब मिच्छादसणसल्ले तस्स णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा विपरिणममाणे २ दुरू|वत्ताए जाय भुजो २ परिणमति, एवं खलु कालोदाई जीवाणं पाचा कम्मा पावफलविवाग० जाव कजंति ।। अस्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कचंति, हंता अस्थि, कहन्नं भंते ! जी| वाणं कलाणा कम्मा जाव कर्जति ?, कालोदाई से जहानामए केह पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्ध अहारसवं| जणाकुलं ओसहमिस्सं भोयणं भुजेजा, तस्स णं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिण-1 ॥३२५॥ ममाणे २ सुरूवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो दुक्खत्ताए भुज्जो २ परिणमति, एवामेव कालोदाई। |जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे तस्स णं आवाए कालोदायी-श्रमणस्य कथा ~92
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy