SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [७], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [३०१-३०४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: % प्रत सूत्रांक प्रज्ञप्तिः या वृत्तिः [३०१-३०४] ॥३१॥ ALOCHA दीप अनुक्रम [३७३-३७६] वहमाणे के जइत्था के पराजइत्या ?, गोयमा ! वजी विदेहपुत्ते चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जइत्था नव का७शतके || मल्लई नव लेच्छई पराजइत्था, तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगाम उवहियं सेसं जहा महासिलाकंटए| उद्देशः नवरं भूयाणंदे हत्थिराया जाव रहमुसलसंगामं ओयाए, पुरओ य से सके देविंदे देवराया, एवं तहेव जाव- ३०१ रथ| चिट्ठति, मग्गओ य से चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया एगं महं आयासं किढिणपडिरूवगं विउवित्ताणं | मुसलर | चिट्ठह, एवं खलु तओ इंदा संगाम संगामेति, तंजहा-देविंदे य मणुइंदे य असुरिंदे य, एगहत्थिणावि णं पभू सान्निध्यं | कूणिए राया जइत्तए तहेव जाव दिसो दिसि पडिसेहिस्था । से केणटुणं भंते ! रहमुसले संगामे २१, गोयमा रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए असारहिए अणारोहए समुसले महया जणक्खयं जणयहं | ४ जणप्पमई जणसंवहकप्पं रुहिरकदमं करेमाणे सवओसमंता परिधाविस्था सेतेणढणं जाव रहमुसले संगामे। रहमुसले णं भंते ! संगामे वहमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ?, गोयमा ! छन्नउर्ति जणसयसाहस्सीओ वहियाओ। ते णं भंते ! मणुपा निस्सीला जाव उववन्ना ?, गोयमा ! तस्थ णं दस साहस्सीओ8 |एगाए मच्छीए कुञ्छिसि ववन्नाओ, एगे देवलोगेसु उववन्ने, एगे सुकुले पञ्चायाए, अवसेसा ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना । (सूत्रं ३०१) कम्हा णं भंते ! सके देविंदे देवराया चमरे असुरिंदे असुरकु ॥३१९॥ मारराया कूणियस्स रन्नो साहेज़ दलइत्था ?, गोयमा ! सके देविंदे देवराया पुवसंगतिए चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगतिए, एवं खलु गोयमा! सके देविंदे देवराया चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया CC56 RY रथमुशलं संग्राम ~80
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy