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________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [२९३ -२९४] दीप अनुक्रम [ ३६५ -३६६] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्तिः] शतक [७], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [८], मूलं [ २९३ २९४] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः छत्थे णं भंते! मणूसे तीयमतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं एवं जहा पढमसए उत्थे उद्देस तहा भाणियां जाव अलमत्यु || ( सू २९३ ) ॥ से णूणं भंते ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चैव जीवे 2, हंता गोयमा । हत्थिस्स कुंथुस्स य, एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव खुड्डियं वा महालियं वा से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव समे चैव जीवे ( सूत्रं २९४ ) ॥ 'छत्थे णमित्यादि, एतच्च यथा प्रागू व्याख्यातं तथा द्रष्टव्यम् ॥ अथ जीवाधिकारादिदमाह - 'से णूण' मित्यादि, 'एवं जहा रायप्पसेणइज्जे'त्ति, तत्र चैतत्सूत्रमेवं-समे चैव जीवे, से णूणं भंते ! हत्थीओ कुंथू अप्पकम्मतराए चैव अप्पकिरियतराए चैव अप्पासवतराए चेव कुंधुओ हत्थी महाकम्मतराए चेव ४ १, हंता गोयमा ! । कम्हा णं भंते ! हस्थिस्स य कुंथुस्स य समे चैव जीवे १, गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवाय गंभीरा अहे णं केई पुरिसे पईवं च जोहं च गहाय तं कूडागारसालं अंतो २ अणुपविसेइ २ तीसे कूडागारसाला सबओ समता घणनिचियनिरन्तर निच्छिडाई दुवारवयणाई पिछेति तीसे य बहुमज्झदेसभाए तं पईवं पलीवेज्जा, से य पईवे कूडागारसालं अंतो २ ओभासति उज्जोएइ तव प्रभासेइ नो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं, तए णं, से पुरिसे तं पईवं इङ्करेणं पिहेइ, तए णं से पईवे इडरस्स अंतो २ ओभासेइ नो चेव णं इरस्स वाहिं, एवं गोकिलं| जपणं गंडवाणियाए पच्छिपिडएणं आढए अद्धाढएणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं कुलवेणं अद्धकुलवेणं उभाइयाए अट्टभाइयाए सोलसियाए बचीसियाए चउसडियाए, तए णं से पुरिसे तं पईवं दीवगचंपणपणं पिहे, तर णं से पईवे For Parts Only ~67~ rryp
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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