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आगम [०५]
[भाग-९] “भगवती"-अंगस
शतक [१०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३], मूलं [४०१] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [४०१]
पुर्वि विमोहेत्ता पच्छा थीइवएज्जा पुर्षि वीइवएत्ता पच्छा विमोहेजा, गोयमा ! पुषि विमोहत्ता पच्छा
वीइयएजाणो पुछि वीहवइत्ता पच्छा विमोहेजा । महिड्डीए भंते ! देवे अप्पड्डियस्स देवस्स मझमझेणं & बीइवएजा, हता वीइवएज्जा, से भंते । किं विमोहित्ता पभू अविमोहेत्ता पभू,गोपमा विमोहेत्तावि
पभू अविमोहेत्तावि पभू , से भंते । किं पुषिं विमोहेत्ता पच्छा वीइवइजा पुर्वि बीइबासा पच्छा विमो
हेजा, गोषमा पुर्वि वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा पुर्वि वा वीहवएत्ता पच्छा विमोहेजा। अप्पिहिलिए भंते । असुरकुमार महहीयस्स असुरकुमारस्स मझमझेणं वीइयएजा, णो इणडे समह, एवं असुनरकुमारेवि तिन्नि आलावगा भाणियबा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया, एवं जाव थणियकुमाराणं, वाणम
तरजोइसियवमाणिएणं एवं चेच । अप्पहिए णं भंते । देवे महिहियाए देवीए मजसंमज्झणं वीइवएजा, णो इणडे समहे, समहिए णं भंते । देवे समिहीयाए देवीए मज्झमजणं, एवं तहेव देवेण य देवीण य वंडओ भाणियो जाव षेमाणियाए । अप्पडिया णं भंते ! देवी महद्दीयस्स देवस्स मजझमझेणं एवं एसोषि तइओ दंडओ भाणियचो जाच महहिया वैमाणिणी अप्पटियस्स वेमाणियस्स मझमजलेणं बीइवएजा, हंता वीइवएजा । अपहिया णं भंते ! देवी महिहियाए देवीए मज्झमझेणं बीइवएज्जा', णो इण8 समढे, एवं समहिया देवी समडियाए देवीए, तहेव, महहियावि देवी अप्पड्डियाए देवीए तहेव, एवं एकेके तिनि २ आलावगा भाणियचा जाव महहिया पां भंते । वेमाणिजी अप्पहियाए वेमाणिणीए मज्झमजोणं वीइक
दीप अनुक्रम [४८२]
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