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________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [३९६] दीप अनुक्रम [४७७] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्ति: ] शतक [१०], वर्ग [–], अंतर् शतक [-], उद्देशक [२], मूलं [ ३९६] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५] अंगसूत्र- [ ०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥४९५ ॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते! अणगारस्स बीयीपंथे ठिचा पुरओ रुवाई निज्झायमाणस्स | मग्गओ रुवाई अवयक्खमाणस्स पासओ रूवाएं अवलोएमाणस्स उहूं रूवाएं ओलोएमाणस्स अहे रुवाई ४ अभयदेवीया वृतिः २ ४ आलोएमाणस्स तस्स णं भंते । किं ईरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कज्जइ १, गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीयपंथे ठिचा जाब तस्स णं णो ईरियावहिया किरिया कज्जइ संपराइया किरिया कञ्ज्जइ, से केणट्टेणं भंते । एवं वुच्चइ संवड० जाव संपराइया किरिया कज्जइ १, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा एवं जहा सत्तमसए पढमोदेसए जाव से णं उत्तमेव रीपति से तेणट्टेणं जाव संपराइया किरिया कज्जइ । संबुदस्स भंते! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिचा पुरओ रूवाएं निज्झायमाणस्स जाव तस्म णं भंते! किं ईरियावहिया किरिया कज्जइ ?, पुच्छा, गोयमा ! संयुड० जाब तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कलह, से केणट्टेणं भंते ! एवं बुचड़ जहा सत्तमे सए पढमोद्देसए जाव से णं अहासुत्तमेव रीपति से तेणट्टेणं जाव तो संपराइया किरिया कज्जइ ॥ ( सू० ३९६ ) 'रायगि' इत्यादि, तत्र 'संवुडस्स' त्ति संवृतस्य सामान्येन प्राणातिपाताद्याश्रवद्वारसंवरोपेतस्य 'वीईपंथे ठिचे ति वीचिशब्दः सम्प्रयोगे, स च सम्प्रयोगोर्द्वयोर्भवति, ततश्चेह कषायाणां जीवस्य च सम्बन्धो वीचिशब्दवाच्यः ततश्च वीचिमतः कषायवतो मतुप्प्रत्ययस्य षष्ठ्याश्च लोपदर्शनात्, अथवा 'विचि पृथग्भावे' इति वचनाद् विविच्य - पृथग्भूय यथाऽऽख्यातसंयमात् कषायोदयमनपवार्येत्यर्थः, अथवा विचिन्त्य रागादिविकल्पादित्यर्थः, अथवा विरूपा कृतिः Education International For Pale Only ~432~ १० शतके उद्देश २ वीचिमतः क्रिया सू ३९६ ||४९५॥
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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