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आगम [०५]
[भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:]
शतक [९], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३२], मूलं [३७८-३७९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [३७८-३७९]
दीप अनुक्रम
वनंति असंतो भंते ! नेरक्या उववनंति ?, गंगेया ! संतो नेरइया उववजंति नो असंतो नेरइया उववज्जति, ४ एवं जाव वेमाणिया, संतो भंते ! नेरतिया उववदंति असंतो नेरइया उववदंति ?, गंगेया ! संतो नेरइया द उववति नो असंतो नेरइया उववदंति, एवं जाव चेमाणिया, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयंति भाणियचं ।
सओ भंते ! नेरहया उववहति असंतो भंते ! नेरड्या उघवहति संतो असुरकुमारा उववहति जाव सतो वेमाणिया उववर्जति असतो बेमाणिया उववजंति सतो नेरतिया उबवति असतो नेरइया उववति संतो असुरकुमारा उववति जाव संतो वेमाणिया चयंति असतो वेमाणिया चयंति, गंगेया ! सतो नेरइया उधवजंति नो असओ नेरड्या उववति सओ असुरकुमारा उववजति नो असतो असुरकुमारा उववज्जति
जाव सओ बेमाणिया उववज्जति नो असतो वेमाणिया उववज्जति सतो नेरतिया उपवति नो असतो नेरइया ट्राउववर्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति नो असतो वेमाणिया०, से केणढणं भंते! एवं बुचइ सतो नेरहया उव-12 वजंति नो असतो नेत्या उववजति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयंति !, से नूर्ण भंते ! गंगेया! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अणादीए अणवयग्गे जहा पंचमसए जाव जे लोकह से लोए, से तेणटेणं गंगेया! एवं बुचह जाव सतो वेमाणिया चयंति नो असतो वेमाणिया चयंति ॥ सर्य भंते ! एवं जाणह उदाहु असयं असोचा एते एवं जाणह उदाहु सोचा सतो नेरहया उववजंति | नो असतो नेरक्या उववजंति जाव सओ वेमाणिया चयंति नो असओ वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! सयं
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पाापत्य गांगेय-अनगारस्य प्रश्ना:
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