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आगम
[०५]
प्रत
सूत्रांक
[३५३]
टीप
अनुक्रम
[४२९]
[भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्तिः ]
शतक [८], वर्ग (-), अंतर-शतक (--), उद्देशक [९]. मूलं [ ३५३ ]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र- [ ०५], अंगसूत्र- [ ०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः
व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृष्टिः १
॥४१४॥
॥ ओराल० १ ॥ || वेडषिय० २ ॥ सबबंधा अनंता ६ सबंध असं० ३ देसबंधा असंखेज० ८ देशबंध० असंखे० ४ (विग्रहगति) अबंधा अबंधा विसेसाविसेसाहिया ७ हिया १०
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॥ आहारग० ३ ॥ सबंध० धोवा १ देशबंध. संख्यातगुणा २ अबंधा विसेसाहिया ११
॥ तैजस० ४ ॥ | देसबंध. विसेसाहिया ९ अबंधा अनंता
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इहाल्पबहुत्वाधिकारे वृद्धा गाथा एवं प्रपश्चितवन्तः --
ओरालयबंधा थोवा अब्बंधया विसेसहिया । ततो य देसबंधा असंखगुणिया कहं नेया ॥ १ ॥ पढमंमि सवबंधो समय सेसेसु देसबंधी उ । सिद्धाईण अबंधो विग्गगइयाण य जिवाणं ॥ २ ॥ इह पुण विग्गहिए चिय पहुच मणिया अबंधगा अहिया । सिद्धा अनंतभागंमि सबन्धाणवि भवन्ति ॥ ३ ॥ उज्जुयाय एगयंका दुइओका गई भवे तिविहा । पढमाइ सव्वबंधा सव्वे बीयाइ अद्धं तु ॥ 8 ॥ तइयाइ तइयभंगो लम्मइ जीवाण सब्वबंधाणं । इति तिनि सव्वगंधा रासी तिन्नेव य अधा ॥ १५ ॥ रासिप्पमाणओ ते तुलाबंधा य सब्वबंधा य । संखापमाणओ पुण अबंघगा पुण जन्महिया ॥ ६ ॥ जे एगसमहया से एगनिगोदंमि छद्दिसि एंति । दुसमश्या तिपयरिया तिसमईया सेसलोगाओ ॥ ७ ॥ तिरियाययं चउद्दिसि पयरमसंखप्पएसबाहलं । उ पुष्यावरदाहिणुतरायमा य दो परा ॥८॥ ने तिपयरिया ते छद्दिसिएहिंतो भवंतसंखगुणा । सावि असंसगुणा खेतासंखेजगुणियता ॥ ९ ॥ एवं बिसेस अहिया अवधया सव्वगंधादि
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॥ कामण० ५ ॥ देसबंधा विसेसाहिया ९ अबंधा गणता
८ शतके उद्देशः ९ शिका
॥४१४॥
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