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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [३५२] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: * प्रत सूत्रांक ** [३५२] दीप अनुक्रम [૪ર૮] व्याख्या जातेयगस्स कम्मगस्स जहेवें'त्यादि, यथौदारिकशरीरसर्वबन्धकस्य तैजसकार्मणयोर्देशबन्धकत्वमुक्तमेवं वैक्रियशरीरसर्व- शतके प्रज्ञप्तिः शबन्धक स्यापि तयोर्देशबन्धकत्वं वाच्यमिति भावः । बैक्रियदेशबन्धदण्डक आहारकस्य सर्वेबन्धदण्डको देशबन्धदण्ड- उद्देशः अभयदेवी-द कश्च सुगम एव । तैजसदेशबन्धकदण्डके तु 'बंधए वा अबंधए वत्ति तैजसदेशबन्धक औदारिकशरीरस्य बन्धको वा शरीरबन्धया वृत्तिः स्यादबन्धको वा, तत्र विग्रहे वर्तमानोऽबन्धकोऽविग्रहस्थः पुनर्बन्धकः स एवोत्पत्तिक्षेत्रप्राप्तिप्रथमसमये सर्वबन्धक काल्पबहुत्वं ॥ द्वितीयादौ तु देशबन्धक इति, एवं कार्मणशरीरदेशबन्धकदण्डकेऽपि वाच्यमिति ॥ अथौदारिकादिशरीरदेशबन्धका॥४१३॥ दीनामल्यत्वादिनिरूपणायाह एएसिणं भंते ! सवजीवाणं ओरालियवेउविय आहारगतेयाकम्मासरीरगाणं देसबंधगाणं सवबंधगाणं अबंधगाण य कयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सवत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सबबंधगा १ तस्स 0 चेव देसबंधगा संखेजगुणा २ वेवियसरीरस्स सबबंधगा असंखेजगुणा ३ लस्स चेव देसघंधगा असंखेज-पद गुणा ४ तेयाकम्मगाणं कुण्डषि तुल्ला अबंधगा अणंतगुणा ५ ओरालियसरीरस्स सवयंधगा अर्णतगुणा | तस्स चेव अपंधगा विसेसाहिया ७ तस्स चेव देसबंधगा असंखेजगुणा ८ तेयाकम्मगाणं देसबंधगा विसे || | साहिया ९ घेउवियसरीरस्स अबंधगा विसेसाहिया १० आहारगसरीरस्स अबंधगा विसेसाहिया १११ सेकंद का॥४१३॥ भंते !२॥ सूत्र (३५३) अट्ठमसयस्स नवमो उद्देसओ समत्तो॥८-९॥ 'एएसी'त्यादि, तत्र सर्वस्तोका आहारकशरीरस्य सर्वबन्धकाः, यस्मात्ते चतुर्दशपूर्वधरास्तथाविधप्रयोजनवम्त एवं ~268~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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