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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [८], मूलं [३४३] +गाथा: पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३४३] ASSORS गाथा: पन्नापरीसहे नाणपरीसहे य, चेयणिज्ने णं भंते ! कम्मे कति परीसहा सम्मोमालि, गोयमा ! एकारस परीसहा समोयरंति, तंजहा-पंचेच आणुपुषी चरिया सेज्जा बहेयरोगे यालणास जन्मेवय एकारस वेदणि मि ॥१॥दसणमोहणिजे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयाति १, गोयनाएको दसपापरीसहे समो|यरा, चरितमोहणिजे भंते !कम्मे कति परीसहा समोयरति १,गोयमा सत्तापरीसहा समोयरंति. तंजहाअरती अचेल इत्थी निसीहिया जायणा य अकोसे । सकारपुरकारचरितमोरभि सत्तेते ॥१॥ अंतराइए । ण भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?, गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरद । सत्तविहबंधगस्स गं भंले ! कति परीसहा पण्णत्ता ?, गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता, वीसं पुण वेदेो, जं समयं सीयपरी| सर वेदेति यो त समयं उसिणपरीसह वेदेह जं समयं उसिणपरीसहं देह पोतं समपं सीयपरीसह वेदेह, जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं निसीहियापरीसह बेदेति जं समपं निम्सीहियारीसहं वेदेव । जो तं समयं चरियापरीसहं घेदेह । अवधिहबंधणस्स णं भले ! कति परीसहा पण्णसा !, गोयमा ! बावीस |परीसहा पण्णसा, तंजहा-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयप सफ० मसग. जाव अलाभप०, एवं अट्ठविहवंधगस्सवि सत्तविहबंधगस्सवि । छबिहबंधगस्स भंते ! सरागसमत्थस्स कत्ति परीसहा पण्ण-181 सा, गोयमा! चोइस परीसहा पण्णता बारस पुण बेदेड, जं समयं सीयपरीसहं वेदेह णो तं समयं उसि-6 कणपरीसहं वेदेड जं समर्ष पसिणपरीसह वेदेव मोतं समयं सीयपरीसह देश, जं समय पारियापरीसह दीप अनुक्रम [४१६-४२०] | कर्म-प्रकृत्तिः , कर्मन: भेदाः, परिषहा: ~219~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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