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आगम [०५]
[भाग-९] “भगवती"-अंगस
शतक [८], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [५], मूलं [३२९-३३१] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [३२९-३३१]
जासू३२९
व्याख्या-ल कारवेति मणसा वयसा ३५, अहवा न कारवेति मणसा कायसा ३६, अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३७, शतक प्रज्ञाप्तः अहवा करेंतं नाणुजा मणसा वयसा ३८, अहवा करेंतं नाणुजा मणसा कापसा ३९, अहवा करेंतं नाणु-18|दशा अभयदेवीजाणइ वयसा कायसा ४०, एक्कविहं एगविहेणं पडिकममाणे न करेति मणसा ४१, अहवा न करेति वयसा
श्रमणोपा. या वृत्तिः
सकवत४२, अहषा न करेति कायसा ४३, अहवा न कारवेति मणसा ४४, अहवा न कारवेति वयसा ४५, अहवा ||
भङ्गाः ३६९॥ न कारवेइ कायसा ४६, अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ४७ अहवाकरेंतं नाणुजा० वयसा ४८ अहवा करतं
नाणुजाणइ कायसा ४९। पटुप्पन्नं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ?, एवं जहा पडिकममाणेणंएगूण| पन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगूणपन्न भंगा भाणियवा। अणागयं पञ्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं |पचक्खाइएवं ते चेव भंगा एगणपन्ना भाणियवा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ।। समणोवासगस्स | | भंते ! पुवामेव थूलमुसाबाए अपचक्खाए भवइ से गं भंते ! पच्छा पञ्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायस्स सीपालं भंगसयं भणियं तहामुसावायस्सवि भाणियत्वं । एवं अदिनादाणस्सवि, एवं धूलगस्स मेहुणस्सवि थूलगस्स परिग्गहस्सवि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, अनोखलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति (सूत्रं३२९) आजीवियसमयस्स गं अयम? पण्णत्ते अक्खीणपडि- ॥३६९॥ भोइणो सधे सत्ता से हंता छेप्सा भेत्ता लुंपित्ता विलुपित्ता उहवइत्ता आहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तंजहा-ताले १ तालपलंबे २ उबिहे ३ संविहे ४ अवविहे ५ उदए ६ नामुदए ७
दीप
अनुक्रम
CAPSASR06450
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श्रमणोपासकस्य व्रत एवं तस्य भेदा:
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