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________________ आगम [०५] प्रत सूत्रांक [३२१] दीप अनुक्रम [३९४] [भाग-९] “भगवती” - अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्ति: ] शतक [८], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [२], मूलं [३२१] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः णसागारोवउत्ता जहा ओहिना णलद्धिया, मणपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणलद्धिया, केवलनाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया, महअन्नाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, एवं | सुयअन्नाणसागारोवउत्तावि, विभंगनाणसागारोवउत्ताणं तिन्नि अन्नाणारं नियमा || अणागारोवउत्ता णं भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, पंच नाणाई तिनि अन्नाणाई भयणाए । एवं चक्खुदंसणअचक्खुदंसणअणागारोवउत्सावि, नवरं चत्तारि णाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, ओहिदंसणअणागारोवउत्ताणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्येगतिया चडनाणी, जे तिन्नाणी ते आभिणिवोहिय० सुयनाणी ओहिनाणी, जे चउणाणी ते आभिणिवोहियनाणी जाव मणपञ्जवनाणी, जे अन्नाणी ते नियमा तिअन्नाणी, तंजहा- मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, केवलदंसणअणागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया ॥ सजोगी णं भंते । जीवा किं नाणी जहा सकाइया, एवं मणजोगी बहजोगी कायजोगीवि, अजोगी जहा सिद्धा ॥ सलेस्सा गं भंते! जहा सकाइमा, कण्हलेस्ला नं भंते ! जहा सईदिया, एवं जाब पहलेसा, सुकलेस्सा जहा सलेस्सा, अलेस्सा जहा सिद्धा ॥ सकलाई णं भंते ! जहां सइंदिया एवं जान लोहकसाई, अकसाई मं मंते ! पंच माणाई भयणाए ॥ सवेदगा णं भंते! जहा सईदिया एवं इक्विवेदमावि, एवं पुरिसवेवगा एवं मपुंसकवे, अवेदगा जहा अकसाई || आहारगा णं ते! Education Internation उपयोगादिषु ज्ञानादि अधिकार: For Parts Only ~151~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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