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आगम
[०५]
प्रत
सूत्रांक
[३१३]
दीप
अनुक्रम
[३८६]
[भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र - ५ [ मूलं + वृत्तिः ]
शतक [८], वर्ग [-], अंतर् शतक [-] उद्देशक [१], मूलं [३१३]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र - [०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः
| गणवि । जइ वइप्पयोगपरिणए किं सच्चवइप्पयोगपरिणए मोसवयप्पयोगपरिणए ? एवं जहा मणप्पयोगपरिणए तहा वयप्पयोगपरिणएवि जाव असमारंभवयप्पयोगपरिणए वा । जइ कायप्पयोगपरिणए किं ओरालिय सरीरकायप्पयोगपरिणए ओरालियमीसाखरीरकायप्पयो० वेडविपसरीरकायप्प० बेडबियमीसा| सरीरका यप्पयोगपरिणए आहारगसरीरकायप्पओगपरिणए आहारकमीसासरीरकायप्पयोगपरिणए कम्मा| सरीरकायप्पओगपरिणए ?, गोयमा ! ओरालिय सरीरकायप्पओगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा, जइ ओरालिय सरीर कायप्पओगपरिणए किं एर्गिदियओरालियस रीरका यप्पओगपरिणए एवं | जाय पंचिंदियओरालिय जाव परि०१, गोयमा ! एर्गिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा बेंदिय | जाव परिणए वा पंचिंदिय जाव परिणए वा, जइ एगिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविकाइयएगिंदिय जाव परिणए जाव वणस्सहकाइयएगिंदिय ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा १, गोयमा पुढ विकाइयएगिंदियपयोग जाव परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिंदिय जाव परिणए वा, जइ पुढचिका| इयएगिंदियओरालियसरीर जाव परिणए किं सुहमपुढविकाइय जाव परिणए वायरपुढविका इयपगिंदिय जाब परिणए ?, गोयमा ! सुमपुढविकाइयए गिंदिय जाव परिणए बायरपुढविक्काहय जाव परिणए, जह | सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए किं पजत्तमुहमपुढवि जाव परिणए अपज्जत्तसुहुमपुढवी जाव परिणए ?, गोयमा ! पत्तमुहुमपुढविकाइय जाव परिणए वा अपज्जत्तसुमपुढविकाइय जाव परिणए वा, एवं बाद
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