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________________ आगम (०५) [भाग- ८] “भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [१], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [१], मूलं [९], + गाथा पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्राक गाथा तसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो भुजो परिणमंति !, गोयमा ! सोइंदियत्ताए जाव फासिंदियत्ताए अणिद्वत्ताए अकंतताए। अप्पियत्ताए अमणुनत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए नो उहत्ताए दुक्खत्ताए नो.सुहत्ताए। एपसि भुजो भुजो परिणमंति' तत्र 'अनिष्टतया' सदैव तेषां [ नारकाणां] सामान्येनावल्लभतया, तथा 'अकान्ततया' सदैव तद्भावेनाकमनीयतया, तथा 'अप्रियतया' सर्वेषामेव द्वेष्यतया, तथा 'अमनोज्ञतया' कथयाऽप्यमनोरमतया, तथा 'अमनोऽम्यतया' चिन्तयाऽपि अमनोगम्यतया, तथा 'अनीप्सिततया आप्तुमनिष्टतया, एकार्थाश्चैते शब्दाः, 'अहिल्झियत्ताए'त्ति अभिध्येयतया तृप्तेरनुत्पादकत्वेन पुनः पुनरप्यभिलापनिमित्ततया, अहृद्यत्वेनेत्यन्ये, अशुभत्वेनेत्यर्थः, 'अहवाए'त्ति गुरुपरिणामतया 'नो उहुत्ताए'त्ति नो लघुपरिणामतयेति सङ्ग्रहगाथार्थः ४०॥ इदं च सहणिगाथाविवरमाणसूत्र कचित् सूत्रपुस्तक एव दृश्यत इति ॥ अथ नैरयिकाऽऽहाराधिकारात्तद्विषयमेव प्रश्नचतुष्टयमाह| मेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला परिणया ११, आहारिया आहारिजमाणा पोग्गला परिणया २१, अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया ३१, अणाहारिया अणाहारिजिस्समाणा पोग्गला परिणया १४, गोयमा! नेरइयाणं पुब्बाहारिया पोग्गला परिणया १, आहारिजमाणा पोग्गला परिणया परिणमंति य२, अणाहारिया आहारिजिस्समाणा पोग्गला नो परिणया परिणमिस्संति ३, अणाहारिया अणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला नो परिणता णो परिणमिस्संति ४॥ (सू०१०) नेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला चिया पुच्छा, जहा परिणया तहा चियावि, एवं चिया उचचिया उदीरिया वेड्या है C+CAREACTOR दीप अनुक्रम [११-१२] ~59~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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