SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 578
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) [भाग- ८] "भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [६], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [२५२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२५२] दीप | सूक्ष्मसम्परायावस्थायां मोहायुषोरबन्धकत्वात् । 'बंधुदेसो इत्यादि, बन्धोद्देशक: प्रज्ञापनायाः सम्बन्धी चतुर्विंशति-10 | तमपदात्मकोऽत्र स्थाने 'नेतव्यः' अध्येतव्यः, स चायम्-'नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कइ कम्मपग&डीओ बंधइ, गोयमा ! अविहबंधगे या सत्तविहवंधगे वा एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे इत्यादि । जीवाधिकाराद्देवजीवमधिकृत्याह देवे णं भंते ! महिडीए जाव महाणुभाए बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरूवं विउवि-18 त्तिए?, गोयमा ! नो तिण? । देवे णं भंते ! बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू, हंता पभू, से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउष्पति तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुचति अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता ४ विउद्यति ?, गोयमा 1 नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउवति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुवति, नो अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउधति, एवं एएणं गमेणं जाव एगवन्नं एगरूवं १ एगवणं अणेगरूवं २ |अणेगवन्नं एगरूवं ३ अणेगवन्नं अणेगरूवं ४ चउभंगो । देवे भंते ! महिहीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालयं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए | परिणामेत्तए नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, गोयमानो तिणढे समढे, परियाइत्ता पभू । से णं भंते ! किं इहगए , पोग्गले तं चेव नवरं परिणामेतित्ति भाणियचं, एवं कालगपोग्गलं ! -SERSE-CLASSIC अनुक्रम [३१७] गंधनो पर्शना Maanasaram.org ~578
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy