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________________ आगम (०५) [भाग- ८] "भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [६], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [२४४-२४५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२४४-२४५]] व्याख्या- एगपदेसियं सेढिं मोत्तूण असंखेनेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अन्नयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढवि-||६|| ६ शतके प्रज्ञप्तिः | |काइयत्ताए उववजेत्ता तओ पच्छा आहारेज चा परिणामेज वा सरीरं चा बंधेजा, जहा पुरच्छिमेणं मंद-I||| उद्देशः ६अभयदेवी सरस्स पचयस्स आलावओ भणिओ एवं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं उढे अहे, जहा पुढविकाइया तहान या दृत्तिः एगिदियाणं सधेसिं, एकेकस्स छ आलावया भाणियवा। जीये गं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं समोहए २त्सा || X कगस्याहा जे भविए असंखेजेसु बेंदियावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पेंदियावासंसि बेईदियत्ताए उववजित्तए से ॥२७॥ रादिसू२४५ ण भंते । तस्थगए व जहा नेरइया, एवं जाव अणुत्तरोववाइया । जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं| समोहए २जे भविए एवं पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएम महाविमाणेसु अन्नयरंसि अणुत्तरविमाणंसि अणु-18 त्तरोववाइयदेवत्ताए उववजित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव जाव आहारेज वा परिणामेज वा सरीरं वा| ४ बंधेज ? । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ॥ (सूत्र २४५) ॥ पुढविउद्देसो समत्तो ॥६-६॥ || 'करण'मित्यादि सूत्रम् , इह पृथिव्यो नरकपृथिव्य ईपत्प्रारभाराया अनधिकरिष्यमाणत्वात् , इह च पूर्वोक्तमपि | यत् पृथिव्याधुक्तं तत्तदपेक्षमारणान्तिकसमुद्घातवक्तव्यताऽभिधानार्थमिति न पुनरुक्तता, 'तत्थगए चेव'त्ति नरकाकावासप्राप्त एव 'आहारेज वा' पुद्गलानादद्यात् 'परिणामेज वत्ति तेषामेव खलरसविभागं कुर्यात् 'सरीरं वा बंधेज'|| प्रति तैरेव शरीरं निष्पादयेत् । 'अत्गहए'त्ति यस्तस्मिन्नेव समुद्घाते घियते 'ततो पडिनियसति' ततो-नरकावासा-1 समुद्घाताद्वा 'इह समागच्छ 'त्ति स्वशरीरे केवइयं गच्छे जत्ति कियदूरं गच्छेद ? गमनमाश्रित्य, 'केवइयं पाउ दीप अनुक्रम [३००-३०१] SARERainintenarana ~559~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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