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________________ आगम (०५) [भाग- ८] “भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [१], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [७५] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७४] दीप अनुक्रम [९६] अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति एवं भासेंति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति-एवं स्खलु एगे जीचे | एगेणं समएणं दो आउयाई पकरेति, तंजहा-इहभवियाउयं च परभवियाउयं च, जं समय इहभविया-| उयं पकरेति तं समयं परभवियाउयं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेति तं समर्थ इहभचियाउयं |पकरेति, इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाज्यं पकरेइ, परभचियाउयस्स पकरणयाए इहभविया| उयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेण समएणं दो आउयाई पकरेति, तं०-इहभवियाउयं च परभवियाउयंच, से कहमेवं भंते ! एवं ?, खलु गोयमा ! जपणं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्खंति जाव परभवियाउयं च, जे| ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु एगे जीवे | एगेर्ण समएणं एग आउयं पकरेति, तं०-दहभवियाउयं वा परभवियाज्यं वा, जं समयं इहभवियाउयं |पकरेति णो तं समयं परभवियाउयं पकरेति, जं समयं परभवियाउयं पकरेइ णोतं समयं इहभवियाउयं| पकरेइ, इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणताए णो इह-1 भवियाउयं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग आउयं पकरेति, तं०-इहभवियाउयं वा परभवियाउयं वा, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति ॥ (सू०७५)॥ _ 'अण्णउत्थिए'इत्यादि, अन्ययूथ-विवक्षितसवादपरः सहस्तदस्ति येषां तेऽन्ययूथिकाः, तीर्थान्तरीया इत्यर्थः, एवम् इति वक्ष्यमाणम् 'आइक्खंति'त्ति आख्यान्ति सामान्यतः 'भासंति'त्ति विशेषतः 'पण्णवेति'त्ति उपपत्तिभिः H aram.org ~209~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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