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________________ आगम (०४) [भाग-७] “समवाय" - अंगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [७], ------------------------------------ मूल [७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] “समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: 4- प्रत सत्राक A- सत्त नक्खत्ता पुत्रदारिआ प० [पाठा० अभियाइथा सत्त नक्खत्ता], महाइआ सत्त नक्खत्ता दाहिणदारिआ प० अणुराहाइआ सत्त नक्खत्ता अवरदारिआ प० धणिहाइआ सत्त नक्खत्ता उत्तरदारिआप०, इमीसे ण रयणप्पभाए पुढवीए अत्यंगइयाण नेरइयाणं सत्त पलिओवमाई ठिई प०, तच्चाए णं पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेणं सस सागरोवमाई ठिई प०, चउत्थीए णं पुढबीए नेरइयाणं जहण्णेणं सत्त सागरोवमाई ठिई प०, असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं सत पलिओवमाई ठिई ५०, सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अस्थेगइयाणं देवाणं सत्त पलिओवमाइं ठिई प०, सणंकुमारे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई ठिई प०, माहिंदे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साइरेगाई सत्त सागरोबमाई ठिई प०, बंभलोए कप्पे अस्वेगइयाणं देवाणं सत्त साहिया सागरोवमाई ठिई प०,जे देवा समं समप्पों महापभ पभासं भासुरं विमलं कंचणकूडं सणकुमारवर्डिसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेण सत्त सागरोवमाई ठिई ते णं देवा सत्तण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा उससंति वा नीससंति वा तेसिणं देवाणं सत्तहिं वाससहस्सेहिं आहारढे समुप्पजइ, संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे णं सत्तहिं भवग्गहणेहिं सिन्झिस्संति बुज्यिस्संति जाव सम्बदुक्खाणमंतं करिस्सति ॥ सूत्रम् ७॥ तच कण्ठ्यं, नवरमिह भयसमुद्घातमहावीरवर्षधरवर्षक्षीणमोहार्थानि च सूत्राणि षट् नक्षत्रार्थानि पञ्च स्थित्यर्थानि नव उच्छासाद्यर्थानि त्रीण्येवेति, तत्रेहलोकभयं यत्सजातीयात् परलोकभयं यद्विजातीयात् आदानभयं यद् द्रव्यमाश्रित्य जायते अकस्माद्भयं चाबनिमित्तनिरपेक्षं खविकल्पाजातं शेषाणि प्रतीतानि, नवरमश्लोकः-अकी-18 चिरिति, समुद्घाताः प्राग्वत्, नवरं केवलिसमुद्घातो वेदनीयनामगोत्राश्रय इति, तथा रनिः-वितताङ्गुलिहस्त A5 अनुक्रम %-54 ३स. Rainrary.org ~36~
SR No.035007
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages338
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size72 MB
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