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________________ आगम (०४) [भाग-७] “समवाय" - अंगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], ---------------- ----------- मूलं [१४२] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] “समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: श्रीसमवा यांगे श्रीअभय प्रत सूत्रांक [१४२] कारे. ॥११९॥ प्रत अनुक्रम [२२३] से किं तं उवासगदसाओं १, उवासगदसासु ण उवासयाणं णगराई उजाणाई चेइआई वणर्खडा रायाणो अम्मापियरो समी- १४२ उसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइयइड्डिविसेसा उवासयाणं सीलव्वयवेरमणगुणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडि- पासकद्वजणयाओ सुषपरिग्गहा तवोवहाणा पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुल शाङ्गाधिपञ्चायाया पुणो बोहिलामा अंतकिरियाओ आधविनंति, उवासगदसासु णं उवासयाणं रिद्धिविसेसा परिसा वित्थरधम्मसवणाणि बोहिलाभअभिगमसम्मत्तविसुद्धया पिरतं मूलगुणउत्तरगुणाइयारा ठिईबिसेसा य पहुबिसेसा पडिमाभिग्गहम्मणपालणा उक्सग्गाहियासणा णिरुवसग्गा य तवा य विचित्ता सीलब्बयगुणवरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासा अपच्छिममारणंतिया य सलेहणाझोसणाहिं अप्पाणं जह य भावइत्ता बहणि भत्ताणि अणसणाए य छेअइत्ता उववण्णा कप्पवरविमाणुतमेसु जह अणुभवति सुरवरविमाणवरपौडरीएसु सोक्खाई अणोचमाई कमेण भुत्तूण उत्तमाई तओ आउक्खएणं चुया सभाणा जह जिणमयम्मि बोहि लभ्रूण य संजमुत्तमं तमरयोपविष्णमुक्का उति जह अक्खयं सचदुक्खमोक्वं, एते अने य एवमाइअत्था वित्वरेण य, उवासबदसासु णं परिचा वायणा संखेना अणुओगदारा जाव संखेनाओ संगहणीओ, से णं अंगद्वयाए सत्तमे अंगे एगे सुयक्खंधे दस अज्झयणा दस उदेसणकाला दस समुदेसणकाला संखेजाई पयसयसहस्साई पयगेण प० संखेआई अक्खराई जाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविअंति, सेत्तं उवासगदसाओ ७॥ सूत्र १४२ ॥ ||२१९॥ 'से कि तमित्यादि अथ कास्ता उपासकदशाः ?, उपासकाः श्रावकास्तगतक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशा:-दशाध्य-! यनोपलक्षिता उपासकदशाः, तथा चाह–'उपासकदसासु णं' उपासकानां नगराणि उद्यानानि चैत्यानि वनखण्डा। REarathiAIIMina उवासगदशा अंगसूत्रस्य शाश्त्रीयपरिचय:, ~249~
SR No.035007
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages338
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size72 MB
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