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________________ आगम (०३) [भाग-6] "स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) स्थान [१०], उद्देशक [-1, मूलं [७२०] + गाथा MANCCCCCC प्रत सूत्रांक [७२० सं०-पुरच्छिमा १ पुरच्छिमदाहिणा २ दाहिणा ३ दाहिणपचत्थिमा ४ पचत्थिमा ५ पञ्चस्थिमुत्तरा ६ उत्तरा ७ उत्तरपुरछिमा ८ उका ९ अहो १०, एएसि णं दसहं दिसाणं दस नामधिजा पं० २०-ईदा अग्गीइ जमा हेरती वारुणी य वायया । सोमा ईसाणाविय विमला च तमा व बोद्धन्वा ॥१॥ लवणस्स णं समुदस्स दस जोषणसहस्साई गोतित्यविरहिते होते पं०, लवणस्स णे समुहस्स दस जोयणसहस्साई उदगमाले पन्नत्ते, सब्वेवि णे महापाताला दसदसाई जोयणसहस्साइमुन्हेणं पण्णता, मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पन्नचा, बहुमझदेसभागे एगपएसिताते सेडीए दसहसाई जोयणसहस्साई विक्संमेणं पन्नत्ता, उवरि मुहमूले दस जोयणसहस्साई विक्वंभेणं पण्णता, तेसि णं महापातालाणं कुछा सम्ववइरामया सम्पत्यसमा दस जोयणसयाई बाहलेणं पन्नचा, सब्वेवि ब खुद्दा पाताला दस जोयणसताई उम्मेहेणं पं०, मूले वसदसाई जोवणाई विखंभेणं, बहुमज्झदेसभागे एगपएसिताते सेढीते दस जोयणसताई विक्संमेण पं०, खबरि मुहमूले वसदमाई जोषणाई विसंभेणं पं०, तेसि णं खुडापातालाणं कुडा सम्ववइरामता सम्यरथ समा दस जोयणाई वाहतेणं पण्णता (सू० ७२०) धायतिसंङगा गं मंदरा इसजोयणसयाई छब्बेहेणं धरणितले देसूणाई दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दस जोवणसयाई विक्खंभेणं प० । पुक्खरवरदीवद्धगा गं मैदरा यस जोयण एवं थेष (सू०७२१) सम्वेचि णं वट्टवेयद्धपब्बता दस जोयणसयाई उद्धं उच्चचेणं दस गाउयसयाइमुन्वेहेणं सव्वस्थसमा पागसंठाणसंठिता, दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पं० (सू० ७२२) अंबुरी २ दस खेता पं० २०-भरहे एरवते हेमवते हेरनवते हरिवरसे रम्मगवस्से पुब्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा (सू०७२३) माणुसुत्तरे णं पश्यते मूले दीप अनुक्रम [९११] CCCC AmEautatus पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र - [३], अंग सूत्र - [०३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ~388~
SR No.035006
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 06 Sthan Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages494
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size106 MB
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