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________________ आगम (०३) [भाग-6] "स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) स्थान [९], उद्देशक [-], मूलं [६९३] प्रत सूत्रांक [६९३] वारे नगरे सबिभतरवाहिरए भारगसो य कुंभग्गसो ये पउमवासे य रयणवासे व बासे युद्ध होऊ णमम्हामिमस्स दारगस्स नामधि महापउमे, लए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज फाहिति-महापरमेसि, सए ण महापधर्म दारगं अम्मापितरो सातिरेगं अहवासजातर्ग जाणित्ता महता रायामिसेएणं अभिसिंचिहिति, से ण सस्थ राया भषिस्सति महता हिमवंतमहत्तमलयमंदररायवन्नतो जाव रजं पसाहेमाणे विहरिरसति, तते णं तस्स महापतमस्स रखो अनया कयाइ दो देवा महिगिया जाव महेसक्खा सेणाकर्म काहिंति, सं०-पुग्नभइते माणिभहते, तए ण सतगुवारे नगरे बहवे रातीसरतलवरमाडंबितकोढुंबितइन्भसेडिसेणावतिसत्यवाहप्पमितयो अन्नमन्नं सदावेहिति एवं बतिस्संति जम्हा णे देवाणुपिया! अम्हें महापउमस्स रन्नो दो देवा महिड़िया जाव महेसक्खा सेनाकम्मं करेंति, तं०-पुनभहे त माणिभरे यतं होऊ णमम्हं देवाणुप्पिया! महापउमस्स रनो दोचेवि मामधेज्जे देवसेणे, तते णं तस्स महापउमस्स दोगेवि मामधेने भविस्सह देवसेणेति २, नए णे तस्स देवसेणस्स रनो अन्नता कताती सेयसंखतलविमलसनिकासे चउईते हस्थिरपणे समुष्पजिहिति, तए णं से देवसेणे राया स सेयं संखतलविमलसन्निकासं चउइंतं हस्थिरवणं दुरूढे समाणे संतदुवार मगर मझमोणं अभिक्खणे २ अतिजाहि त णिजाहि त, तते गं सतदुवारे गगरे बहये रातीसरतलवरजाय अनमन्नं सराविति २ एवं वासंति-जम्हा ण देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेते संसतलविमलसन्निकासे पर्दते हस्थिरयणे समुपने सं होऊ णमई देवाणुपिया ! देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि नामधेजे विमलवाहणे, तते णे तस्स देवसेणस्स रसो सवेवि णामधेजे भविस्सति विमलवाहणे २, तए ण से विमलवाहणे राया तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता अम्मापितीहि दीप 45%45454564 अनुक्रम [८७२-८७६] Eaton पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र - [३], अंग सूत्र - [०३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: ~350~
SR No.035006
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 06 Sthan Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages494
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size106 MB
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